धरती पुत्र
निकम्मे हुक्मरानों कि नीतियों से निरुत्तर हूं।
सबका पेट भरने वाला मैं धरती पुत्र हूं।।
आपस में लड़ाते, भ्रमाते किताना लुभाते नेता लोग,
दुश्मन को देख आंखें मुंद लूं ना मैं वो लाचार कबूतर हूं।
चमकती है ये दुनिया मेरी मेहनत के दम से ही,
बदलाव का परिवर्तन का मैं ही अहम सूत्र हूं।
ठिठुरती है रातें, तपती है शिखरह दोपहर मेरी,
ज़मीन से जुड़ा हुआ हूं मैं इसका मल मूत्र हूं।
मैं कायर नहीं, हालातों का मारा हुआ हूं,
खेत के पेड़ से रस्सी पर लटका, मैं मंगलसूत्र हूं।
बच्चें अविवाहित,बेरोजगार,ज़मीन बिकने की कगार पर,
बेघर,बेदर, भूखमरी का शिकार, मैं किसका मित्र हूं।
सरदानन्द राजली
मो.न.- 9416319388
जिला-हिसार