हिसार

सबके मन को भाती कुर्सी, कार्यक्रमों की शान बढ़ाती कुर्सी

कुर्सी

कई प्रकार की होती कुर्सी
विभिन्न प्रकार से बनती कुर्सी।

घर-घर में होती कुर्सी
महंगी सस्ती मिलती कुर्सी।

सबके मन को भाती कुर्सी
कार्यक्रमों की शान बढ़ाती कुर्सी।

राजनेता, कर्मचारी, अधिकारी
इनको मिलती कुर्सी सरकारी।

शान शौकत बढ़ाती कुर्सी,
अलग पहचान दिलाती कुर्सी।

कमाल करती कुर्सी
धमाल करती कुर्सी!

मलाल करती कुर्सी
हलाल करती कुर्सी!

नाम चमकाती कुर्सी
कई बार डगमगाती कुर्सी।

अभिमान जगाती कुर्सी
स्वाभिमान बढ़ाती कुर्सी।

सम्मान दिलाती कुर्सी।
न मिले तो, परेशान करती कुर्सी।

कुर्सी के लिए होती लड़ाई
होता संघर्ष, लड़ते भाई भाई।

कुर्सी से जनसेवा का चल
सकता अभियान।

कुर्सी के सदुपयोग से महान
बन सकता इंसान।

– पुष्कर दत्त
मो 9416338524

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