‘ढप’ की ताल से श्री बांके बिहारी के रंग उत्सव की शुरुआत होगी
हिसार,
श्री राधे कृष्ण बड़ा मंदिर खाजांचिया बाजार में बसंत महोत्सव की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से की जाएगी। इस महोत्सव की शुरुआत को श्री बांके बिहारी के रंग उत्सव की शुरुआत भी कहा जाता है। इस दिन श्री बांके बिहारी को रिझाने के लिए भजन आनंद व ‘ढप’ की ताल से श्री बांके बिहारी के रंग उत्सव की शुरुआत की जाती है। इसी दिन से श्री बांके बिहारी को गुलाल चढ़ाकर और सभी भक्तों के संग गुलाल लगाकर श्री बांके बिहारी इस बसंत महोत्सव के पावन पर्व की शुरुआत करते हैं। श्री बांके बिहारी को होली का रसिया भी इसे लिए कहा जाता है क्योंकि बसंत पंचमी से लेकर होली तक श्री बांके बिहारी रंग अबीर गुलाल से सरोबार रहते हैं और भक्तों संग होली के रंगों में रंग जाते हैं।
मंदिर के महंत राहुल शर्मा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी हिसार के वृंदावन धाम श्री राधे कृष्ण बड़ा मंदिर में बसंत पंचमी के दिन ‘बसंत महोत्सव’ की शुरुआत की जाएगी इस बार इस बार ‘हरिदासी प्रेमायक्ष’ की उपाधि से विभूषित संजय वृंदावन वाले मंदिर प्रांगण में अपनी प्रेमा भक्ति स्वरूप आनंदमई भजनों की प्रस्तुति देंगे। मंदिर में ढप की ताल बजा कर श्री बांके बिहारी को गुलाल लगाया जाएगा। उन्होंने सभी भक्तों से अनुरोध किया कि वे पीले वस्त्रों में संकीर्तन में आएं व बसंत महोत्सव में लगाए जाने वाले प्रसाद भी पीले रंग के होंगे। श्री ठाकुर जी और राधा रानी को फूलों से सजाया जाएगा व विभिन्न तरह के रंग, गुलाल व भोग प्रसाद से श्री बांके बिहारी को रिझाया जाएगा। बसंत पंचमी के इस उत्सव का महत्व प्राचीन काल से ही चला आ रहा है इस दिन श्री बांके बिहारी के दर्शन करने से अनेकानेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में नए आनंद का संचार होता है।