हरियाणा हिसार

गेहूं के पत्ते हो सकते हैं पीले, सरसों में सफेद रतुआ भी संभावित, सचेत रहें किसान

उत्तर—पश्चिमी हवाएं चलने के कारण आई मौसम में तब्दीली, किसानों को दी सलाह

मौसम में होगा बदलाव, दिन का तापमान बढ़ेेगा, रात के तापमान में होगी गिरावट

हिसार, (राजेश्वर बैनीवाल)
प्रदेश में अगले कुछ दिनों के दौरान दिन के तापमान में बढ़ोतरी होने व रात के तापमान में हल्की गिरावट होने की संभावना है। ऐसा उत्तर—पश्चिमी हवाएं चलने के कारण होगा। बदलते मौसम को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए सलाह जारी की है।

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि राज्य में आमतौर पर 20 फरवरी तक मौसम खुश्क रहने, दिन के तापमान में बढ़ोतरी व रात के तापमान में हल्की गिरावट संभावित है। बाद में 21 व 22 फरवरी को पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव के कारण आंशिक बादलवाई, बीच-बीच में हवाएं चलने तथा दिन के तापमान में हल्की कमी रहने की भी संभावना है। बदलते मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी गई है कि मौसम खुश्क रहने व दिन के तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए फसलों, सब्जियों व फलदार पौधों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करें, अनुकूल मौसम बने रहने की संभावना को को ध्यान में रखते हुए गेहूं, चने व सरसों की फसलों व सब्जियों में कीटों व रोगों की निगरानी करते रहें, गेहूं की फसल में पत्तों के ऊपरी हिस्से पीले और कुछ जले हुए दिखाई देने लगे तो यह पोटेशियम की कमी के लक्षण हो सकते है। इसके लिए एक से डेढ़ किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटास को 100-125 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ गेहूं की फसल में स्प्रे करे। मौसम में हो रहे बदलाव के कारण सरसों में सफेद रतुआ बीमारी बढ़ने की संभावना है, इस में तने तथा पत्तियों पर सफेद अथवा पीले क्रीम रंग के कील से प्रकट होते हैं। तने व फूल बेढंगे आकार के हो जाते हैं जिन्हें स्टेग हेड कहते है। इस रोग के लक्षण नज़र आते ही 600 ग्रा. मेन्कोजैब (डाइथेन या इन्डोफिल एम-45) को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। यदि खेत में ये बीमारी ज्यादा आ रही है तो आप रिडोमिल एम जेड (Ridomil MZ) 1 ग्राम दवाई एक लीटर पानी के हिसाब से अर्थात 200 ग्राम दवाई को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल में स्प्रे करें।
कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि अनुकूल मौसम होने के कारण टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों के तैयार पौधों की रोपाई व ग्रीष्मकालीन भिंडी की बिजाई कर सकते हैं। बदलते मौसम में समय पर लगाई प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें। यदि प्रकोप दिखाई दे तो नजदीक के कृषि/उधान अधिकारी से सम्पर्क करके विश्विद्यालय द्वारा बताये गए कीटनाशकों का स्प्रे करें। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम को देखते हुए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशों के अनुसार कृषि कार्य करने चाहिए।

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Jeewan Aadhar Editor Desk