हिसार

आदमपुर गांव में बरसाती पानी का कहर, नरमा-मूंग की फसल तबाह

आदमपुर,
भारी बरसात से आदमपुर में व्यापारियों के साथ-साथ किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है। आदमपुर गांव में किसानों की नरमा व मूंग की फसल तबाह हो चुकी है। ऐसे में अब किसान अपने हाथों से अपनी फसल पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हो गए है। अब वे यहां पर मूंग व नरमा को उखाड़कर जीरी लगाने को विवश हो गए है।

ढाब मंदिर रोड पर रहने वाले किसान कृष्ण काकड़ ने अपनी 5 एकड़ जमीन पर नरमा लगा रखा था। अब मजबूरी से उसे हटाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वे सेम के चलते अब जीरी लगवा रहे है। रविंद्र खदाव ने 3 एकड़ जमीन में नरमा लगा रखा था। लेकिन जलभराव के चलते उनका पूरा नरमा गल गया। ऐसे में उन्होंने अपनी फसल पर ट्रैक्टर चलाकर अब जीरी लगाई है। राजाराम काकड़ व मांगेराम गोदारा ने 2-2 एकड़ में मूंग की फसल लगाई थी। लेकिन जलभराव के कारण पूरे मूंग खराब हो गए। कृष्ण गिला ने 8 एकड़ में नरमा लगा रखा था। बरसात ने पूरी फसल को तबाह कर दिया। इसी प्रकार सुरेश काकड़, भूपसिंह गिला, ओम गोदारा सहित कई किसानों ने नरमा की फसल लगाई थी। लेकिन बरसाती पानी का निकास न होने के कारण उनकी पूरी फसल तबाह हो गई।

इन किसानों का कहना है कि पिछले 3/4 साल से उनकी फसल यूं ही खराब हो रही है। अधिक बरसात आ जाने से उनकी जमीन में सेम आ जाती है और उनकी खड़ी फसल खराब हो जाती है। कृष्ण काकड़ ने बताया कि हर बार वे पहले नरमा लगाते हैं। नरमा में पूरा खर्च लगने के बाद जब नरमें के बढ़ने की बारी आती है तो तेज बरसात से इस क्षेत्र में जलभराव हो जाता है। इस जलभराव के कारण उनकी पूरी फसल खराब हो जाती है। इसके चलते अब मजबूरी में यहां के किसान जीरी लगाने को विवश हो गए है।

उन्होंने कहा कि जीरी लगाने के लिए वे प्रवासी मजदूर 4100 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से एक सप्ताह पहले लेकर आए थे। लेकिन क्षेत्र में बढ़ती जीरी की मांग के चलते इस लेबर ने अपने रेट बढ़ाकर 4500 से 4700 रुपए प्रति एकड़ कर दिए है। किसानों को पहले तो नरमें की बिजाई में खर्च करना पड़ा और अब जीरी की फसल में फिर से खर्च करना पड़ रहा है। सुरेश काकड़ ने बताया कि फसल बीमा इस खराबे का नहीं मिलता। क्योंकि फसल बीमा कम्पनियों के खराबे को देखने के मापदंड़ काफी अलग है। वे किसानों की प्रति एकड़ के हिसाब से प्रीमियम लेते हैं लेकिन खराबे की मामले में वे पूरे क्षेत्र को अपना मापदंड़ बनाते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र के किसानों को फसल बीमा योजना का पूरा और सही लाभ नहीं मिल पाता।

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