श्री प्रहलाद चरित्र कथा के समापन पर भंडारे का आयोजन
हिसार,
कलश के मध्य में सभी मातृशक्तियां निवास करती हैं। कलश में समस्त सागर, सप्तद्वीपों सहित पृथ्वी, गायत्री, सावित्री, शांतिकारक तत्व, चारों वेद, सभी देव, आदित्य देव, विश्वदेव, सभी पितृदेव एकसाथ निवास करते हैं। कलश की पूजा मात्र से एकसाथ सभी प्रसन्न होकर यज्ञ कर्म को सुचारुरूपेण संचालित करने की शक्ति प्रदान करते हैं और निर्विघ्नतया यज्ञ कर्म को समाप्त करवाकर प्रसन्नतापूर्वक आशीर्वाद देते हैं।
पिछले दिनों से चले आ रहे धार्मिक अनुष्ठान एवं श्री प्रहलाद चरित्र कथा के समापन अवसर पर आचार्य प्रदीप पराशर व आचार्य गौरव ने यह बात कही। कथा के समापन अवसर पर आयोजकों की ओर से भंडारे का आयोजन किया गया। उन्होंने कलश स्थापना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा से पूर्व कलश शोभा यात्रा नगर परिक्रमा कर सभी नगर के देवों को प्रसन्न कर निमंत्रण दिया जाता है। सुहागिन स्त्रियों के शीश पर रखे उस कलश में अनेक नदियों के जल तीर्थ जल गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, कावेरी आदि का आह्वान होता है। यह जल पावन एवं पवित्र होता है। उस जल को साक्षात भगवान वरुण माना गया है। उन कलशों की यात्रा जब नगर होकर श्रीमद्भागवत कथा स्थल तक जाती है फिर उन कलशों का पूजन आह्वान कर स्थापित किया जाता है। अनुष्ठान पूर्ण होने पर कलश के जल को उस जगह से अपने-अपने घरों में छिडक़ा जाता है। कुछ जल अपने पेड़ पौधों में भी डालते हैं। कुछ आचार्यों का मत है कि इस जल से स्नान भी करना चाहिए ताकि हमारे रोग कष्ट आदि सब दूर हों और घर में सकारात्मकता हो। इस अवसर पर राधा-कृष्ण की मनमोहक झांकी ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस मौके पर इंद्र बजाज, सुमीत बजाज, भारत मदान, मयंक बजाज, दीपक जुनेजा, साहिल खोखर, दिनेश ठकराल, सुनील शर्मा, साक्षी बजाज, नितिका बजाज, रेणु पुनियानी, ज्योति दिमान, राज कुमारी बजाज, देष्णा कक्कड़, प्रियंका कालरा, दीपाली ठकराल, हिमांशु महता, रंजू सेठी व वंदना आनंद आदि मौजूद रहे।