हिसार

चौ.भजनलाल व कुलदीप बिश्नोई के व्यक्तित्व का अंतर आदमपुर के दुर्ग को कर रहा कमजोर— 2024 में हो सकती है बिश्नोई परिवार को दिक्कत

आदमपुर,
आदमपुर वर्षों से चौ.भजनलाल के परिवार के रुप में पहचाना जाता रहा है। इसका कारण है चौ.भजनलाल का व्यवहार। वे आदमपुर के अमीर—गरीब सबके सुख—दुख में बराबर पहुंचते थे। उनके प्रेम और विश्वास की रखी गई नींव अब तक आदमपुर हलके के लोगों में मजबूती से टिकी है। इसके चलते ही आदमपुर को आज भी चौ.भजनलाल का अभेद दुर्ग के रुप में पहचाना जाता है।

समय बदला और चौ.भजनलाल परिवार की कमान कुलदीप बिश्नोई ने थाम ली। चौ.भजनलाल जहां जमीन से जुड़े नेता थे—वहीं कुलदीप बिश्नोई को आदमपुर के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। 1998 में पहली बार आदमपुर से विधायक बने। तब से लेकर अब तक हरियाणा की राजनीति में सक्रिय है। आदमपुर हलके को वो भी चौ.भजनलाल की तरह अपना परिवार बताते है। लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है।

चौ. भजनलाल आदमपुर हलके के हर आदमी को नाम से जानते थे। जात—पात, अमीर—गरीब और पार्टीबाजी से ऊपर ऊठकर सबके सुख—दुख में शामिल होते थे। वे आदमपुर की प्रत्येक गली को जानते थे। आदमपुर के प्रत्येक वाशिंदे का पूरा बायोडाटा उनकी उंगुलियों पर रहता था। इसीलिए आदमपुर के लोग विवाह—शादी में उनको बड़े चाव से न्यौता देते थे। और वे उनके यहां हर हाल में पहुंचते भी थे। अगर किसी कारणवंश वो समय पर नहीं पहुंच पाते थे तो उनका संदेश पत्र अवश्य आता था और जब भी वे आदमपुर आते तो उनके पास पहुंच जाते थे। विरोधी पार्टी के कार्यकर्ता के घर पर भी वे सहज रुप से पहुंच जाते थे। यही कारण था कि आदमपुर में कोई ज्यादा समय तक उनका विरोधी बनकर नहीं रह सका।

इस मामले में कुलदीप बिश्नोई उनके आसपास भी नहीं ठहरते। आदमपुर से इतनी लम्बी राजनीति करने के बाद भी वे केवल अपने आसपास मंडराने वाले कुछ लोगों को ही जानते हैं। जहां तक सुख—दुख में आने—जाने की बात है तो वे केवल अपनी बिरादरी और कुछ लोगों तक ही सीमित है। आज भी अपने निवास स्थान अनाज मंडी के आसपास रहने वाले व्यापारियों को भी नाम और दुकान की फर्म से नहीं जानते। जहां तक विवाह—शादी की बात है तो शायद ही किसी ने कुलदीप बिश्नोई को किसी आमजन की शादी में आया हुआ देखा हो।

वर्तमान समय में आदमपुर मुख्य रुप से साफ पेयजल, सड़क और सिवरेज की समस्या से ग्रस्त है। सरकार में शामिल होने के बावजूद कुलदीप बिश्नोई इन तीनों समस्या का हल नहीं निकाल पाएं है। सिवरेज के मामले में सोनाली फौगाट ने काफी काम किया। वो मुख्यमंत्री से ग्रांट तक ले आई थी। लेकिन राजनीति के चलते आज तक उस ग्रांट से सिवरेज लाइन आज तक नहीं बिछ पाई है। साफ पेयजल हर नागरिक का अधिकार है लेकिन आदमपुर में साफ पानी आए एक जमाना बीत गया है। जलघर में आधुनिक वाटर फिल्टर तक नहीं है। पेयजल की लाइन खस्ता होकर जगह—जगह से लिकेज कर रही है। लेकिन कुलदीप बिश्नोई का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है।

आदमपुर की सड़कों का बुरा हाल है। जब भी सड़क बनाने की आवाज उठती है तो बोल दिया जाता है सिवरेज की लाइन बिछने के बाद सड़क बनेगी। लेकिन सिवरेज की लाइन कब बिछेगी—इसका एक ही जवाब मिलता है कि टेंडर हो चुका है और जल्द ही बननी आरंभ हो जायेगी। कुलदीप बिश्नोई के इस रवैये से अब आदमपुर की जनता में भीतरखाते रोष फैलने लगा है। इस रोष ने पहले मोदी के नाम पर एकजुट होकर बिजेंद्र सिंह को यहां से जीत का ताज सौंप दिया था। अब अगर किसी बड़े कद के नेता ने समय रहते आदमपुर के रोष को भांप लिया तो 2024 के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनावों में कुलदीप बिश्नोई को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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