आदमपुर,
राजस्थान में चुनावी डंका बज चुका है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। पहली लिस्ट में आदमपुर के सीमावर्ती भादरा विधानसभा से भाजपा ने एक बार फिर से संजीव बेनीवाल पर दांव लगाया है। इनका पैतृक गांव गांधी बड़ी है। उनके पिता दया राम बेनीवाल भी विधायक रहे थे। इसके बाद संजीव बेनीवाल भी 2 बार विधायक रह चुके हैं।
पिता से विरासत में मिले राजनीतिक गुणों के चलते संजीव बेनीवाल कॉलेज के शुरुआती दिनों से ही छात्रों के अधिकारों के समर्थन में आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों में शामिल रहते थे। उन्होंने सरकारों और अधिकारियों के निरंकुश फैसलों के खिलाफ विभिन्न अभियान भी चलाए।
कम उम्र में ही चुनावी राजनीतिक करियर की शुरुआत 1998 के राजस्थान विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भादरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़कर की और विजयी रहे। भादरा निर्वाचन क्षेत्र में 30 वर्षों में यह पहली बार था कि कोई कांग्रेस उम्मीदवार जीता था।
सक्रिय रूप से चुनाव (2003 और 2008) लड़ने और विभिन्न उतार-चढ़ाव का सामना करने के कारण वह 2013 के राजस्थान विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट से भादरा से फिर से विजयी हुए। इस जीत के साथ भादरा के इतिहास में भाजपा से जुड़े पहले विधायक बनने का एक और रिकॉर्ड बनाया।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में भाजपा के खिलाफ हवा चली। इस हवा में भादरा विधानसभा से संजीव बेनीवाल को हार का सामना करना पड़ा। 2018 में सीपीआई(एम) के प्रत्याशी बलवान पूनियां ने भाजपा की टिकट पर उतरे संजीव बेनीवाल को 23,153 वोट से हरा दिया। बलवान पूनियां को 82204 वोट मिले जबकि दूसरे नम्बर पर रहे संजीव बेनीवाल को 59051 वोट मिले थे। कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ सुरेश चौधरी को 37574 वोट मिले। बताया जा रहा है कि उस चुनाव में बसपा के प्रत्याशी रुपनाथ ने संजीव बेनीवाल का खेल बिगाड़ कर रख दिया था। रुपनाथ को 15581 वोट मिले थे।
अब 2023 का रण सज चुका है। मुकाबले में एक बार फिर से भाजपा ने संजीव बेनीवाल पर दांव लगा दिया है। सीपीआई(एम) और कांग्रेस को अभी प्रत्याशी उतारना है। शुरुआती मुकाबले में अन्य प्रत्याशियों का नाम अभी सामने न आने के कारण संजीव बेनीवाल काफी हैवीवेट लग रहे है। बाकि दूसरे दलों के प्रत्याशियों के मैदान में उतरने से तस्वीर साफ हो जायेगी।