धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—130

कुरुक्षेत्र के मैदान पर कौरव और पांडव सेनाएं आमने—सामने थी। अर्जुन ने दोनों सेनाओं के बीच जाकर जब दृश्य देखा तो हाथ से धनुष छूट गया। युद्ध ना लड़ने का फैसला कर लिया। वह पूरी तरह से उदास था। कांप रहा था। बिल्कुल व्याकुल अनिर्णय की स्थिती में था।

तब श्री कृष्ण खड़े हुए और उन्होंने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। दोनों ही सेनाओं के बीच में खड़े थे लेकिन अर्जुन दुखी था जबकि श्री कृष्ण बिल्कुल शांत। अर्जुन दबाव में टूट गया था जबकि श्री कृष्ण दृढ़ता से खड़े रहे। श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश देकर अर्जुन को युद्ध करने के लिए तैयार किया।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, श्री कृष्ण की यह लीला संदेश देती है कि परिस्थितियों को देखकर घबराना और कर्तव्य से भागना गलत है। अगर हम शांत और स्थिर होते हैं तरे विपरीत परिस्थितियों में दुनियां का श्रेष्ठ ज्ञान दे सकते हैं या अर्जित कर सकते हैं। भारी तनाव और दबाव वाली परिस्थितियों में भी अगर डटे रहें तो जीत मिलना तय है।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—270

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—55

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : गुरु दक्षिणा