श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा मध्य प्रदेश के उज्जैन में सांदीपनि ऋषि के आश्रम में रहकर पूरी की थी। कहा जाता है कि 64 दिन में उन्होंने 64 कलाओं का ज्ञान हासिल कर लिया था। वैदिक ज्ञान के अलावा उन्होंने कलाएं सीखीं। शिक्षा ऐसी ही होनी चाहिए, जो हमारे व्यक्तित्व का रचनात्मक विकास करे। संगीत, नृत्य, युद्ध सहित 64 कलाएं कृष्ण के व्यक्तित्व का हिस्सा बनीं।
प्रेमी सुंदरसाथ जी, आप—हम सभी जीवनभर के विद्यार्थी हैं, तो ख़ुद को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित ना रखें। अपने कौशल पर ध्यान दें। हरफनमौला बनें। अगर आपके बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं, तो उन्हें अपने व्यक्तित्व को कौशल-समृद्ध करने को प्रोत्साहित करें। उनमें कोरा किताबी ज्ञान ना भरें। उनकी पढ़ाई ऐसी हो कि उनकी रचनात्मकता को नए आयाम मिलें।
भगवान श्रीकृष्ण ने 64 कलाओं का ज्ञान हांसिल करके साफ संदेश दिया है कि मनुष्य को केवल एक फिल्ड की तरफ अपना पूरा विकास करने के साथ—साथ अन्य विषयों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। हमें जीवनभर कुछ नया सीखने का प्रयास करते रहना चाहिए। जब तक जीवन है हमें अपने ज्ञान का विकास करते रहना चाहिए। आज जितने क्षेत्र का ज्ञान अर्जित करोगे, आपका उतना ही अधिक मानसिक विकास होगा।