धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—157

वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि सुग्रीव जब माता सीता की खोज में वानर वीरों को पृथ्वी की अलग–अलग दिशाओं में भेज रहे थे, तो उसके साथ-साथ उन्हें ये भी बता रहे थे कि, किस दिशा में तुम्हें कौन सा स्थान या देश मिलेगा। और किस दिशा में तुम्हें जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिये।

प्रभु श्रीराम सुग्रीव का ये भगौलिक ज्ञान देखकर हतप्रभ थे। उन्होंने सुग्रीव से पूछा कि सुग्रीव तुमको ये सब कैसे पता ?

तो सुग्रीव ने उनसे कहा कि, ‘मैं बाली के भय से जब मारा-मारा फिर रहा था तब पूरी पृथ्वी पर कहीं शरण न मिली और इस चक्कर में मैंने पूरी पृथ्वी छान मारी और इसी दौरान मुझे सारे भूगोल का ज्ञान हो गया।’

अब अगर सुग्रीव पर ये संकट न आया होता तो उन्हें भूगोल का ज्ञान नहीं होता और माता जानकी को खोजना कितना कठिन हो जाता।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी “अनुकूलता भोजन है, प्रतिकूलता विटामिन है और चुनौतियाँ वरदान हैं और जो उनके अनुसार व्यवहार करें, वही पुरुषार्थी हैं।”

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