हरियाणा

हरियाणा में कांग्रेस अच्छी ओपनिंग,एंटी इंकंबेंसी व किसान आंदोलन के बाद भी खतरें में क्यों??

चंडीबढ़,
हरियाणा के गांवों में बीजेपी नेताओं के विरोध की खबरों को अगर आधार मान लिया जाए तो यही लगता है कि इस बार इस स्टेट में अधिकतर लोकसभा सीटों पर बाजी कांग्रेस के हाथ में है। हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों के लिए होने वाले मतदान में अब केवल 9 दिन रह गए हैं और प्रचार के लिए तो केवल 7 दिन ही शेष बचे हैं। एंटी इंकंबेंसी, महिला खिलाड़ियों के अपमान का मुद्दा और किसान असंतोष को देखते हुए कोई भी कह सकता है कि राज्य में कांग्रेस पार्टी मजबूत स्थिति में हैं। पर पिछले दस सालों का राजनीतिक इतिहास अगर देखा जाए तो जीती हुई बाजी हारने का रिकॉर्ड भी कांग्रेस के नाम जाता है।क्या वैसा ही कुछ हरियाणा में भी दुहराया जा सकता है? आइये देखते हैं कि हरियाणा की राजनीति में क्या चल रहा है?

1-पार्टी में फूट खुलकर सामने आ रही है
हरियाणा कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के वर्चस्व से सभी वाकिफ हैं, पर राज्य में जितने उनके विरोधी हैं वह भी अपने आप में एक मिसाल है। हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने नामांकन किया है। उनके नामांकन के दौरान उनके साथ पिता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा, मां आशा हुड्‌डा, पत्नी श्वेता मिर्धा हुड्डा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान समेत कई नेता मौजूद रहे। लेकिन राज्य के बड़े नेता नदारद रहे। हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी और बीरेंद्र सिंह आदि में से कोई भी दीपेंद्र हुड्‌डा के नामांकन में नहीं दिखा। बीरेंद्र सिंह बेटे बृजेंद्र को हिसार और किरण चौधरी बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट कटने पर नाराज चल रहे हैं। इशारों-इशारों में इन दोनों नेताओं ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा चुके हैं।

इसी तरह 2 मई को कुमारी सैलजा ने सिरसा लोकसभा सीट ने नामांकन दाखिल किया था। इस दौरान रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी, बीरेंद्र सिंह और चंद्र मोहन बिश्नोई सिरसा पहुंचे थे पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा नदारद रहे। जाहिर है कि ये गुटबाजी केवल दिखावे की नहीं बल्कि सभी अंदरखाने में एक दूसरे को हराने में भी लगे हुए भी हो सकते हैं।

2-राष्ट्रीय नेताओं को राज्य से कोई मतलब नहीं
हरियाणा में कांग्रेस का माहौल बेहतर है। यहां की 7 से 8 सीटें कांग्रेस निकालने की कूवत रखती है। पर राष्ट्रीय नेताओं को हरियाणा में कोई दिलचस्पी नहीं दिख रही है। बीजेपी के सभी बड़े नेताओं का हरियाणा में प्रोग्राम लग रहा है पर का्ंग्रेस के बड़े नेताओं को यहां के लिए टाइम नहीं है.त्र। कांग्रेस आलाकमान की ओर से अभी तक कोई बड़ा नेता हरियाणा में नहीं आ पाया है। ये तो रही राष्ट्रीय नेताओं की बात पर लोकल क्षत्रपों का भी सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। कद्दावर जाट नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला सिर्फ सिरसा लोकसभा क्षेत्र तक सीमित हैं, जबकि अन्य विधायक और पूर्व विधायक भी अपने-अपने हलकों में ही सक्रिय हैं। कांग्रेस ने 40 नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह, पूर्व मंत्री आनंद शर्मा, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, अजय माकन, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल व सचिन पायलट समेत अन्य नाम शामिल हैं। हैरानी की बात ये है कि इनमें से कोई भी नेता हरियाणा अभी तक नहीं आया है। जबकि इनमें से कई ऐसे नाम हैं जिनके आने से जरूर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनता।

3-महिला खिलाड़ियों के अपमान और किसान आंदोलन को मुद्दा न बना पाना
हरियाणा कांग्रेस के पास इस बार चुनावों के लिए इतन बड़े मुद्दे हैं जिस पर बीजेपी को वह बुरी तरह घेर सकती है। महिला खिलाड़ियों के अपमान जैसे संवेदनशील मुद्दे को पार्टी और बेहतर ढंग से उठाकर हरियाणवी जनता को आंदोलित कर सकती थी। आंदोलन के समय कांग्रेस ने खुलकर इन खिलाड़ियों का साथ दिया था, लेकिन चुनाव में इस मुद्दे को लेकर कांग्रेसी नेता सरकार को घेरने में सफल नहीं हुए। बल्कि बीजेपी के मुद्दों में उलझ कर रह गई है। किसानों के मुद्दों पर भी कांग्रेस नेताओं को केवल जाटों का ही सपोर्ट मिलता दिख रहा है। चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा भी गायब होता दिख रहा है।

4-बीजेपी के धुंआधार प्रचार के मुकाबले कमजोर
कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने के बावजूद हरियाणा में पार्टी चुनाव प्रचार में फिसड्डी साबित हो रही है। अभी तक दोनों पार्टियों की रैलियों का आकलन करें तो बीजेपी बहुत आगे दिख रही है। अब तक भाजपा 88 विजय संकल्प रैलियां कर चुकी है। मनोहर लाल खट्टर और नायब सिंह सैनी की जोड़ी अधिकतर विधानसभाओं का दौरा कर चुकी है। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र अब तक सात लोकसभा क्षेत्रों में 29 रैलियां ही कर पाए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पंचकूला में रोड शो कर चुके हैं और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा भी हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए आए थे। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी भी राज्य में चुनाव प्रचार के लिए आ रहे हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी आने की योजना है। पीएम नरेंद्र मोदी की चार रैलियां और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के तीन कार्यक्रम तय हो चुके हैं। दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं के कार्यक्रम शिड्यूल अभी तक नहीं बन पाएं हैं।

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Jeewan Aadhar Editor Desk