धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—209

भगवान श्रीकृष्ण बचपन से ही एक अच्छा वक्ता और प्रवक्ता थे। प्रभावशाली तरीके से अपनी बात समझाना उन्हें बेखूबी आता था। उनकी सभा और उपदेशों को सुनने के लिए लोग बहुत लालायित रहते थे। साधारण लोगों के अलावा राजा—महाराजा, ऋषि—पंड़ित, विद्वान सभी श्रीकृष्ण की ओजस्वी स्वर से प्रभावित रहते थे। वे जहां भी जाते सभी को अपनी बातों से मंत्र—मुग्ध कर देते थे।

श्रीकृष्ण इसी कला से सबको अपना बना लेते थे। बचपन में गोपियां श्रीकृष्ण की शिकायत लेकर माता यशोधा के पास जाती लेकिन वहां पर श्रीकृष्ण की बातों में उलझकर सभी शिकायतें भूलकर उनमें ​ही खो जाती। इसी प्रकार जब द्रोपदी का चीरहरण हुआ तो सभा में श्रीकृष्ण को पहुंचा देखकर सभी कौरव,राजा—महाराजा, ऋषि—पंड़ित, विद्वानों का सिर लज्जा से झूक गया। उनकी बातों का असर इतना ज्यादा था कि दु:शासन चीरहरण करना ही भूल गया। महाभारत के युद्ध से पहले अर्जून ने जैसे ही युद्ध करने से मन किया तो श्रीकृष्ण ने न केवल अर्जून को उसके कर्तव्य की याद दिलवाई बल्कि पूरे विश्व को गीता का महान उपदेश दे दिया जो सदियों बाद भी आमजन के जीवन की रेखा बना हुआ है।

श्रीकृष्ण के समान ही गुण उद्यमी में होने चाहिए, उन्हें अपने मैसेज और सोच को दूसरों के सामने अच्छे से व्यक्त करना सीखना चाहिए। अच्छे कम्युनिकेटर होने से वह अपने क्लाइंट तक अपनी बातेें पहुंचा सकते हैं और अपने प्रोडक्ट या सेवाओं को बेच सकते हैं।

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