आमतौर पर आज के युग में ऐसा देखा जाता है कि लोग सही फैसला लेने से पहले कई बार सोचते हैं कि कहीं कोई उनके किसी फैसले की वजह से कोई नाराज तो नहीं हो जाएगा लेकिन महाभारत में श्रीकृष्ण ने सही फैसला लेने के लिए किसी भी व्यक्ति की परवाह नहीं की और उन्होंने वही किया, जो न्याय के लिए उन्हें जरूरी लगा।
जब श्रीकृष्ण ने देखा कि युद्ध अनिवार्य बन गया है और कौरव अपनी हरकतों से बाज नहीं आएंगे, तो उन्हें बदलाव के लिए युद्ध जरूरी लगा और उन्होंने किसी की नाराजगी की परवाह न करते हुए युद्ध का रास्ता पांडवों को सुझाया। अपने फैसले पर अटल रहने के लिए उन्हें गांधारी का शाप तक मिल गया लेकिन उन्होंने इस बात की परवाह नहीं की।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, सही फैसला करने में कभी भी किसी की खुशामंद या नराजगी को नहीं देखना चाहिए। यदि ऐसा करते हुए परिवार के सदस्य या मित्र नाराज होते है तो इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए। जो धर्मसंगत हो वही काम करना करना चाहिए।