हिसार

अणुव्रत स्थापना दिवस पर तेरापंथ भवन में कार्यक्रम का आयोजन

हिसार,
हिसार कटला रामलीला स्थित तेरापंथ भवन के अहिंसा सभागार में अणुव्रत स्थापना दिवस के अवसर महातपस्वी आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि विजय कुमार ने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित किया। अपने संबोधन में मुनिश्री विजय कुमार ने कहा कि भारत विविध धर्म संप्रदायों वाला देश है हर धर्म सम्प्रदाय की अपनी स्वतंत्र उपासना पद्धति है। सिद्धांत और विचारधारा में भी भिन्नता देखने को मिलती है। तेरापंथ के 9वें आचार्य गुरुदेव श्री तुलसी ने चिंतन किया, चारित्रिक पक्ष को सभी मजहब स्वीकार करते हैं किंतु उसको मुख्यता नहीं दी जा रही है। कोरा उपासना का पक्ष एकांगी है। चरित्र का पक्ष उजागर होने पर ही धार्मिक व्यक्ति की उपासना परिपूर्ण हो सकती है।
सामयिक परिस्थितियां भी उनके इस चिंतन में निमितभूत बनी। 15 अगस्त 1947 को भारत देश ने परतंत्रता की बेडिय़ों को तोडक़र आजादी की सांस ली। हर कोई खुशियों के उन्मुक्त आकाश में उड़ान भर रहा था। लंबी प्रतीक्षा के बाद भारतवासियों का चिरकालीन सपना साकार हुआ था। देश के नेताओं ने भारत माता की प्रतिमा को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए विविध योजनाएं बनानी शुरू की। सडक़ों, कारखानों, चिकित्सालयों, शिक्षा संस्थानों आदि के निर्माण की परिकल्पना हमारे नेताओं द्वारा की जा रही थी। उस समय युगपुरुषण आचार्य तुलसी ने सोचा कि इतनी योजनाएं बन रही हैं किंतु चरित्र निर्माण और व्यक्ति सुधार की योजना पर किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा है। ऋषि दृष्टा होते हैं। आचार्यवर ने अपने ज्ञानचक्षुओं से देखा कि व्यक्ति सुधार के बिना राष्ट्र की छवि को सुधारना असंभव है। उन्होंने अणुव्रत गीत में भी गयाा है कि ‘सुधरे व्यक्ति, समाज व्यक्ति से, राष्ट्र स्वयं सुधरेगा।’
मुनिश्री ने कहा कि देश के नव निर्माण के लिए उन्होंने व्यक्ति सुधार को आवश्यक समझा। व्यक्ति सुधार की भूमिका पर ही परिवार, समाज और राष्ट्र का सुधार संभव है। गहरे चिंतन मंथन के बाद उन्होंने अणुव्रत अभियान की परिकल्पना राष्ट्र के सामने रखी। 1 मार्च 1949 के मंगल प्रभात में राजस्थान के सरदार शहर में इस योजना का बीजारोपण हुआ। इस योजना को व्यापक रूप देने के लिए उन्होंने पदयात्राएं कीं देश की राजधानी दिल्ली भी वे पधारे। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर सामान्य श्रेणी के व्यक्ति तक उन्होंने अणुव्रत के संदेश को पहुंचाया। देश के नेताओं, प्रबुद्धजनों ने अणुव्रत की परिकल्पना को समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी बताया। लाखों व्यक्तियों ने अणुव्रत के नियमों को स्वीकार किया। अणुव्रत को अपनाकर उन्होंने न केवल अपने जीवन को सुधारा, परिवार, समाज और राष्ट्र के सुधार में भी वे योगभूत बन गए।
आज के कार्यक्रम में अणुव्रत समिति के प्रधान कुंदनलाल जैन, संरक्षक मास्टर नंदकुमार जैन, तेरापंथ सभा के प्रधान संजय जैन, युवक परिषद प्रधान अभिषेक सुराणा, गौरव जैन, टीपीएफ प्रधान प्रीति जैन, सुधा जैन, सुरेश जैन, अनिल जैन, विनोद जैन ने गीत और भाषण के द्वारा अणुव्रत पर विचार प्रकट किए। मंगलाचरण महिला मंडल ने किया। संयोजन संरक्षक सत्यपाल ने किया। कार्यक्रम के बाद मीडिया से जुड़े व्यक्तियों ने शासन श्री मनिवर से अणुव्रत के संदर्भ में जिज्ञासाएं रखी, जिनका समाधान मुनिश्री ने किया।

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