हिसार,
अखिल भारतीय बिश्नोई युवा संगठन के नेतृत्व में लघु सचिवालय के समक्ष विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से जोधपुर के खेजड़ली गांव में वृक्ष रक्षार्थ शहीद हुए 363 नर-नारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए सामूहिक उपवास कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान उपायुक्त अशोक कुमार मीणा को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया।
इस उपवास और ज्ञापन की मुख्य मांगों में प्रमुखत: खेजड़ली महाबलिदान की याद में भारतीय पर्यावरण दिवस की घोषणा करने, सभी शिक्षा बोर्ड की पाठ्य पुस्तकों में इस महाबलिदान की घटना को पाठ के रूप में शामिल करने, भारत सरकार सभी राज्य सरकारों से अनुरोध करे कि पर्यावरण संरक्षण व वृक्ष रक्षण का कार्य करने वाले लोगों को हर वर्ष भारत सरकार की भांति दिए जाने वाले अमृता देवी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार अपने-अपने राज्यों में आरंभ करें आदि शामिल है।
उपवास कार्यक्रम में शामिल हुए विभिन्न सामाजिक संगठनों में अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा, अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा, बिश्नोई सभा हिसार, अखिल भारतीय गुरु जम्भेश्वर सेवक दल आदि कई प्रमुख रही। कार्यक्रम में उपस्थित रहे युवाओं को संबोधित करते हुए सभी महानुभावों ने यह कार्यक्रम आयोजित करने पर अखिल भारतीय युवा संगठन की सराहना की। इस मौके पर अखिल भारतीय गुरु जम्भेश्वर कल्याण संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष निहाल सिंह गोदारा, बिश्नोई सभा हिसार के प्रधान प्रदीप बैनीवाल, भाजपा के जिला सचिव कृष्ण बिश्नोई, पूर्व प्रधान सुभाष देहडू, पटेल पूनिया, कृष्ण काकड़, अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के हरियाणा मीडिया प्रभारी पृथ्वी सिंह बैनीवाल, भारतीय मजदूर संघ के जिला हिसार प्रधान विकास ईशरवाल, रायसाहब डेलू, अखिल भारतीय युवा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण धारणिया, अनिल पूनिया, संजय लांबा, अमरदीप सीगड़ लीलस, जयपाल देहडू, महेंद्र डेलू फतेहाबाद, माया जोहर, सपना डेलू, कुलदीप देहडू सिवानी, रामनिवास बैनीवाल, विकास बिश्नोई सहित अन्य सम्मानित सदस्य और भारी मात्रा में युवा साथी मौजूद थे। मंच का संचालन युवा संगठन हरियाणा के महासचिव राजीव पूनिया ने किया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1730 में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा अभय सिंह के शासनकाल में यहां के गांव खेजडली गांव में महाराजा अभय सिंह के दीवान गिरधरदास भंडारी ने राजा के आदेशानुसार गांव में किले का निर्माण करवाने के लिए पेड़ों की कटाई का फरमान जारी किया था, लेकिन अपने गांव में पर्यावरण की रक्षा के लिए 60 गांवों के 64 गौत्रों के 217 परिवारों के 294 पुरुष व 69 महिलाओं सहित कुल 363 लोगों ने गुरु जम्भेश्वरण भगवान की वाणी ‘जीव दया पालनी रुख लीलो नहीं घावै’ को चरितार्थ करते हुए अपने घरों की चिंता ना करते हुए पेड़ों से चिपक गए, फरमान के अनुसार ज्यों-ज्यों पेड़ काटे जाने लगे, त्यों-त्यों 363 लोगों ने एक-एक कर अपना बलिदान दे दिया।