एक व्यक्ति अपने गांव के लोगों के छोटे-छोटे काम करके किसी तरह खाने व्यवस्था करता था। उसके परिवार में कोई नहीं था। वह अकेला था, एक दिन गरीबी से तंग आकर उसने सोचा कि उसे बड़े नगर में जाना चाहिए, वहां ज्यादा काम मिलेगा और ज्यादा धन कमाने के अवसर मिल सकते हैं।
वह व्यक्ति गांव के करीब स्थित बड़े नगर पहुंच गया। गांव से निकलने के बाद जब वह नगर में पहुंचा, तब तक उसने कुछ खाया नहीं था। भूख की वजह से उसकी हालत खराब हो रही थी। उसने वहां के लोगों से खाने देने के लिए प्रार्थना की, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की।
भूख से बेहाल होकर पर रास्ते में ही बैठ गया। तभी एक सेठ की नजर उस लड़के पर पड़ी तो उसने उसे बुलाया। भूखे व्यक्ति पर उसे दया आई और खाना दिया।
गरीब व्यक्ति ने सेठ से कहा कि आप कृपया मुझे कोई काम दे दें, मैं कड़ी मेहनत करूंगा, आपको शिकायत का कोई मौका मिलेगा। सेठ ने उसे अपने यहां काम पर रख लिया। वह लकड़ियों का व्यापार करता था। उसने व्यक्ति से कहा कि जंगल में पेड़ काटने का काम है, तुम चाहो तो ये काम कर सकते हो। गरीब व्यक्ति इस काम के लिए तैयार हो गया।
अगले दिन सेठ ने लड़के को नई कुल्हाड़ी दी और अपने बाग में उसे बता दिया कि कौन-कौन से पेड़ काटना है। गरीब व्यक्ति की नौकरी का पहला दिन था, वह जोश में था। उसने दिनभर में 15 पेड़ काट दिए। अच्छा काम देखकर सेठ खुश था। अगले दिन व्यक्ति सिर्फ 10 पेड़ ही काट पाया। तीसरे दिन उसने और ज्यादा मेहनत की, लेकिन उस दिन वह सिर्फ 5 पेड़ ही काट सका। ये देखकर वह निराश हो गया।
सेठ समझ गया कि लड़का अपने प्रदर्शन से दुखी है। उसने कहा कि तुम रोज सुबह पेड़ काटने से पहले कुल्हाड़ी की धार तेज करते हो या नहीं। व्यक्ति ने कहा कि नहीं। मैं तो धार तेज नहीं की। सेठ बोला कि इसी वजह से तुम कम पेड़ काट पा रहे हो। अगर कुल्हाड़ी में धार ही नहीं होगी तो पूरी मेहनत बेकार हो जाएगी और तुम अच्छा काम नहीं कर पाओगे।
उस गरीब व्यक्ति अपनी गलती समझ आ गई। उसे इस बात का ज्ञान ही नहीं था कि कुल्हाड़ी धार रोज तेज करनी चाहिए। अगले दिन से उसका प्रदर्शन सुधर गया और वह ज्यादा पेड़ काटने लगा।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, अगर हम किसी काम में सफल होना चाहते हैं तो शुरुआत में ही हमें उस काम से जुड़ी सभी जरूरी बातें समझ लेनी चाहिए। इसके बाद रोजाना उस काम को लेकर स्वयं को अपडेट करते रहने चाहिए, तभी हम सफल हो सकते हैं।