धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—285

एक राजा के दो पुत्र थे। एक दिन दोनों राजकुमारों ने सोचा कि जंगल में शिकार के लिए चलना चाहिए। ये इच्छा उन्होंने अपने पिता को बताई तो राजा ने राजकुमारों के साथ कुछ सैनिकों को भी भेज दिया। राजकुमार सैनिकों के साथ जंगल की ओर निकल पड़े।

जंगल में उन्हें एक नदी दिखाई दी। राजकुमारों ने वहीं पड़ाव डाल दिया और नदी में स्नान करने चले गए। दोनों ही तैरना जानते थे। एक राजकुमार तैरते-तैरते कुछ दूर निकल गया, वहां नदी का बहाव तेज था और गहराई भी अधिक थी। दूसरा राजकुमार किनारे पर ही था, जब उसने देखा कि उसका भाई बहुत आगे चला गया तो वह नदी से बाहर निकला और उसे बुलाने लगा। गहराई की ओर पहुंच चुका राजकुमार थक गया था। वह गहराई और नदी का बहाव देखकर घबरा गया। तभी दूसरे राजकुमार ने किनारे पर रखा लकड़ी का बड़ा टुकड़ा पानी में फेंक दिया। वह लकड़ी डूबते राजकुमार के पास नहीं पहुंच सकी। वह लगातार बाहर निकलने का प्रयास कर रहा था।

किनारे पर खड़ा दूसरा राजकुमार और सैनिक बोल रहे थे कि अब इनका बाहर निकलना असंभव है, ये डूब जाएगा। ये बातें बोलते-बोलते वे सभी दुखी हो रहे थे। किनारे खड़े लोगों की ये बातें सुनकर नदी में फंसा राजकुमार भी हताश हो रहा था। तभी नदी के तेज बहाव के साथ राजकुमार वहां से आग बह गया। ये देखकर किनारे पर खड़े राजकुमार और सैनिक विलाप करने लगे।

कुछ देर बाद उन्होंने देखा कि दूसरी ओर से एक संन्यासी और एक युवक उनकी ओर आ रहे हैं। जब वे दोनों पास पहुंचे तो राजकुमार और सैनिक हैरान हो गए, क्योंकि संन्यासी के साथ नदी में डूब रहा राजकुमार था। सभी ने उस राजकुमार से पूछा कि वह कैसा बचा? तब संन्यासी ने कहा कि मैं समझाता हूं, ये नदी से बाहर कैसे निकला।

जब ये नदी में बहकर दूर तक चला गया तो ये वहां अकेला था, इसे निराश करने वाली बातें नहीं थी, कोई भी इसका उत्साह कम करने वाला नहीं था। नदी के बीच में इसने खुद को समझाया कि मैं नदी से बाहर निकल सकता हूं, अपनी सोच को सकारात्मक किया और बाहर निकलने की कोशिश करने लगा। कुछ ही देर में इसे लकड़ी का बड़ा टुकड़ा मिल गया, जिसे पकड़कर ये किनारे तक पहुंच गया। संन्यासी ने सभी को समझाया कि जो लोग नकारात्मकता से घिरे रहते हैं, उन्हें सफलता नहीं मिल पाती है। इसीलिए हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए। तभी परेशानियों को दूर कर सकते हैं। नकारात्मकता से बचना चाहिए।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमें सफलता तब ही मिल सकती है जब हमारी सोच सकारात्मक हो।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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