धर्म

स्वामी राजदास : संत का आशीर्वाद

जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी और नौकरी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

जीवन आधार जनवरी माह की प्रतियोगिता में भाग ले…विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीत सकते है हर माह नकद उपहार के साथ—साथ अन्य कई आकर्षक उपहार..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

पार्ट टाइम नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंधक बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

पत्रकारिकता के क्षेत्र में है तो जीवन आधार न्यूज पोर्टल के साथ जुड़े और 72 हजार रुपए से लेकर 3 लाख रुपए वार्षिक पैकेज के साथ अन्य बेहतरीन स्कीम का लाभ उठाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।


काशी के एक संत उज्जैन पहुंचे। उनकी प्रशंसा सुन उज्जैन के राजा उनका आशीर्वाद लेने आए। संत ने आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘सिपाही बन जाओ।’ यह बात राजा को अच्छी नहीं लगी। दूसरे दिन राज्य के प्रधान पंडित संत के पास पहुंचे। संत ने कहा, ‘अज्ञानी बन जाओ।’ पंडित नाराज होकर लौट आए। इसी तरह जब नगर सेठ आया तो संत ने आशीर्वाद दिया, ‘सेवक बन जाओ।’ संत के आशीर्वाद की चर्चा राज दरबार में हुई। सभी ने कहा कि यह संत नहीं, कोई धूर्त है। राजा ने संत को पकड़ कर लाने का आदेश दिया। संत को पकड़कर दरबार में लाया गया। राजा ने कहा, ‘तुमने आशीर्वाद के बहाने सभी लोगों का अपमान किया है, इसलिए तुम्हें दंड दिया जाएगा।’ यह सुनकर संत हंस पड़े।
राजा ने इसका कारण पूछा तो संत ने कहा, ‘इस राज दरबार में क्या सभी मूर्ख हैं? ऐसे मूर्खों से राज्य को कौन बचाएगा।’ राजा ने कहा, ‘क्या बकते हो?’ संत ने कहा, ‘जिन कारणों से आप मुझे दंड दे रहे हैं, उन्हें किसी ने समझा ही नहीं। राजा का कर्म है, राज्य की सुरक्षा करना। जनता के सुख-दुख की हर वक्त चौकसी करना। सिपाही का काम भी रक्षा करना है, इसलिए मैंने आपको कहा था कि सिपाही बन जाओ।

प्रधान पंडित ज्ञानी होता है। जिस व्यक्ति के पास ज्ञान हो, सब उसका सम्मान करते हैं जिससे वह अहंकारी हो जाता है। पर यदि वह ज्ञानी होने के अहसास से बचा रहे तो अहंकार से भी बचा रह सकता है। इसलिए मैंने पंडित को अज्ञानी बनने को कहा था। नगर सेठ धनवान होता है। उसका कर्म है गरीबों की सेवा, इसलिए मैंने उसे सेवक बनने का आशीर्वाद दिया था। अब आप ही बताइए कि मैं हंसूं या रोऊं?’ संत की बातें सुन राजदरबार में मौजूद सभी लोगों की आंखें खुल गईं। राजा ने संत से क्षमा याचना की।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

ओशो : रेत के महल

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—51

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : धर्मात्मा की पहचान