धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—303

एक व्यक्ति बहुत मेहनत कर रहा था, लेकिन उसकी परेशानियां खत्म ही नहीं हो रही थीं, उसे किसी भी काम सफलता नहीं मिल रही थी। असफलता और धन की कमी की वजह से वह हताश हो गया था।

एक दिन वह अपने गांव के विद्वान संत के पास पहुंचा और संत को अपनी परेशानियां बता दीं। संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी और कहा कि तुम्हें अभी धैर्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

संत ने एक कथा सुनाई। संत बोले की पुराने समय में किसी बच्चे ने बांस और कैक्टस का पौधा एक ही समय पर लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता और जरूरी देखभाल करता था। काफी समय बीत गया। कैक्टस पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ प्रगति नहीं हुई थी।

बच्चे को थोड़ी निराशा हुई, लेकिन उसने पौधों की देखभाल करना नहीं छोड़ी। अब कैक्टस तेजी से बढ़ने लगा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था।

लड़का ने कुछ दिन और देखभाल की। अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति होने लगी थी, ये देखकर बच्चा खुश हो गया। कुछ और दिन निकल गए। अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था। कैक्टस का पौधा छोटा रह गया।

इस कथा के माध्यम से संत ने दुखी व्यक्ति को समझाया कि कभी-कभी कुछ कामों में देरी हो जाती है, लेकिन हम धैर्य बनाए रखेंगे तो हमें सफलता जरूर मिल सकती है। इसीलिए निराश होने से बचें और सही दिशा में आगे बढ़ते रहें।

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