धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—306

एक राजा के तीन बेटे थे। राजा बूढ़ा हो चुका था। उसने सोचा कि राजकुमारों को जीवन की महत्वपूर्ण सीख देनी चाहिए, ताकि वे राजपाठ ठीक से चला सकें। राजा ने तीनों राजकुमार को बुलाया और कहा कि हमारे राज्य नाशपति का कोई पेड़ नहीं है। मैं चाहता हूं तुम तीनों चार-चार महीने के अंतर में नाशपति पेड़ की खोज में दूसरे राज्यों में जाओ और इस फल के पेड़ की जानकारी लेकर आओ।

अपने पिता की आज्ञा मानकर तीनों पुत्रों ने चार-चार महीने अलग-अलग मौसम में नाशपति की खोज की। एक साल के बाद तीनों पुत्रों को राजा ने फिर बुलाया और नाशपति के बारे में पूछा।

बड़े बेटे ने कहा, ‘नाशपति का पेड़ बिल्कुल सूखा था। उसमें फल-पत्तियां नहीं थीं।’ दूसरे बेटे ने कहा, ‘नहीं भाई, नाशपति का पेड़ तो हरा-भरा था, लेकिन उसमें कोई फल नहीं लगा था।’

तीसरा राजकुमार बोला, ‘नहीं भाइयों आप दोनों गलत बोल रहे हैं, मैंने नाशपति का असली पेड़ देखा है, वह हरा-भरा था और उसमें फल भी लगे थे।

तीनों राजकुमार अपनी-अपनी खोज को सही बताने लगे। विवाद होने लगा तो राजा ने तीनों से शांत रहने के लिए कहा। राजा ने कहा कि आप तीनों नाशपति के बारे में सही बात कर रहे हैं। मैंने आप तीनों को अलग-अलग मौसम में नाशपति की खोज के लिए भेजा था। इसी वजह से तीनों ने नाशपति के पेड़ की अलग-अलग अवस्था देखी है।

मैं आप तीनों को इस परीक्षा से तीन बातें समझना चाहता हूं। पहली, अगर किसी की पूरी और सही जानकारी चाहिए तो उसके बारे में लंबे समय तक खोज करनी चाहिए। लंबे तक उस पर नजर रखनी चाहिए।

दूसरी, दूसरों की बातों पर भी ध्यान दें। सिर्फ हम ही सही हैं, ये मानना गलत है, दूसरे के ज्ञान को भी समझना चाहिए। तीसरी बात, मौसम एक सा नहीं रहता है। जिस तरह एक पेड़ की अलग-अलग मौसम में अलग-अलग अवस्था रहती है, ठीक उसी तरह हमारे जीवन में भी सुख-दुख का आना-जाना रहता है।

ये तीन बातें ध्यान रखेंगे तो जीवन में कभी भी परेशानियों में ज्यादा समय तक उलझेंगे नहीं। बड़ी-बड़ी समस्याओं को आसानी से हल किया जा सकता है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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