धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—315

पुराने समय में एक व्यक्ति बहुत परेशान था और हमेशा दुखी रहता। घर-परिवार में भी ठीक से काम नहीं कर पाता था और इस वजह से समाज में भी उसे को सम्मान नहीं देता था। एक दिन उसके गांव में एक संत का आगमन हुआ। वह व्यक्ति संत के दर्शन करने के लिए गया। सभी लोग संत को अपनी-अपनी परेशानियां बता रहे थे। मौका मिलते ही दुखी युवक ने भी संत से बात की।

युवक ने कहा कि मैं बहुत परेशन हूं, मुझ पर कृपा करें। कुछ ऐसा रास्ता बताएं, जिससे मेरी सभी समस्याएं खत्म हो जाए और मैं सुखी हो जाऊं। दुखी व्यक्ति की बात सुनकर संत ने कहा कि मैं तुम्हारे दुखों को दूर करने का रास्ता जरूर बताउंगा, लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरा एक छोटा सा काम करना होगा। व्यक्ति ने कहा कि ठीक है गुरुजी।

संत ने कहा कि आज राज तुम्हें मेरी गौशाला में गायों की देखभाल करनी है। जब सभी गाय सो जाएंगी, तब तुम भी सो जाना। दुखी व्यक्ति ने संत की बात मान ली और उस रात वह गौशाला में गायों की देखभाल करने के लिए चले गया। पूरी रात उसने गायों का ध्यान रखा। अगले दिन सुबह वह संत से मिलने गया। संत ने उससे पूछा कि तुम्हें नींद कैसी आई?

व्यक्ति ने कहा कि गुरुजी मैं तो पूरी रात सो ही नहीं सका, क्योंकि सभी गाय एक साथ नहीं सोती हैं। एक गाय सोती है तो दूसरी उठ जाती है। पूरी रात ऐसा ही चलता रहा। संत ने कहा कि हमारे जीवन में परेशानियां भी गायों की तरह ही हैं। कभी भी एक साथ सभी समस्याएं शांत नहीं हो सकती, जीवन में कुछ न कुछ दुख तो बना ही रहता है। इसीलिए हमें परेशानियों का डटकर सामना करना चाहिए। बाधाओं से डरे नहीं, उन्हें दूर करने का प्रयास करें। नकारात्मक विचारों से बचें।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमें परेशानियों से डरना नहीं चाहिए। डटकर उनका सामना करेंगे तो हर बाधा पर हो सकती है। जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा रहता है, इसीलिए हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें।

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