धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—320

किसी गांव में एक व्यक्ति ने नया घर लिया। घर के आसपास का वातावरण बहुत अच्छा था, लेकिन वहां कुत्ते के रोने की आवाज आ रही थी। व्यक्ति ने सोचा कि कुछ देर बाद बंद हो जाएगी। वह अपने काम में लगे रहा।

थोड़ी-थोड़ी देर में उसका ध्यान कुत्ते के रोने की आवाज पर जा रहा था। कुछ देर में रात हो गई तो उसने सोचा कि सुबह देखना होगा, ये कुत्ता कहां रो रहा है। रात में ठीक से नींद नहीं आई। सुबह वह जल्दी उठा और जहां से कुत्ते के रोने की आवाज आ रही थी, वह उस दिशा में चलने लगा।

उसके पास वाले घर से ही आवाज आ रही थी। वह व्यक्ति घर के अंदर पहुंचा तो वहां एक बूढ़ा बैठा हुआ था और उसके पास ही एक कुत्ता बैठा-बैठा रो रहा था।

व्यक्ति ने उस बूढ़े से कहा कि बाबा आपके यहां ये कुत्ता कल से रो रहा है, इसे क्या दिक्कत है?

बूढ़े ने कहा कि हां, मुझे मालूम है। ये कुत्ता एक कील पर बैठा हुआ है। कील के चुभने से इसे दर्द हो रहा है। इस वजह से ये रो रहा है।

व्यक्ति ने कहा कि ये तो बड़ी अजीब बात है। जब इसे कील की वजह से दर्द हो रहा है तो ये उठा क्यों नहीं रहा है?

बूढ़े ने कहा कि अभी इस कुत्ते के लिए दर्द असहनीय नहीं हुआ है। जब तक ये दर्द सहन कर पा रहा है, तब तक बैठा रहेगा। जब दर्द ज्यादा होने लगेगा तो ये खुद ही उठ जाएगा।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमारे जीवन में भी कई बार कीलों की तरह ही समस्याएं आती हैं और हम उन समस्याओं के साथ खुद ढालने लगते है, लेकिन उन्हें हल करने की कोशिश नहीं करते हैं। कुछ बाद वही समस्या बड़ी हो जाती है और फिर उसे हल कर पाना मुश्किल हो जाता है। सिर्फ बैठे रहने से समस्या हल नहीं होती है। जैसे ही कोई बाधा आए तो हमें उसे तुरंत हल कर लेना चाहिए। तभी जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—203

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज—310

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 126