धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—365

एक गुरु ने अपने सभी शिष्यों के लिए फल मंगाए। हर एक के हिस्से के फल एक गत्ते के डिब्बे में रखे और हर डिब्बे पर एक शिष्य का नाम लिख दिया। सभी शिष्यों के फलों के डिब्बे तैयार हो गए। अब उन्होंने शिष्यों से कहा-तुम्हारे लिए फल कुटिया के अंदर रखे हैं। सभी लोग अंदर जाकर अपना नाम लिखा डिब्बा ले लो।

सभी शिष्य कुटिया के अंदर दौड़ पड़े। उत्साह में एक-दूसरे पर ही गिरने लगे। कोई अपने नाम का डिब्बा नहीं खोज पाया क्योंकि अव्यवस्था फैल गई थी। यह देखकर गुरु जी ने शिष्यों को वापस बुलाया और कहा- तुम लोग एक-एक करके कुटिया में जाओ और जो भी एक डिब्बा हाथ लगे, उठाकर ले आओ और उस पर जिस शिष्य का नाम लिखा हो, उसे दे दो।

ऐसा करने से दो मिनट में ही हर शिष्य के हाथ में उसका नाम लिखा फलों का डिब्बा था। अब गुरु जी ने समझाते हुए कहा, ‘जैसे फलों का डिब्बा तुम लोग पहले खोज रहे थे, उसी तरह जीवन में लोग खुशियां खोज रहे होते हैं, लेकिन वह इस तरह नहीं मिलती। जब आप दूसरों को खुशियां देने लगेंगे, तो आपको अपनी खुशी अपने आप मिल जाएगी।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, असली खुशी कुछ पाने से नहीं, बल्कि देने से मिलती है। आप खुश होना चाहते हैं तो लोगों को खुशियां दीजिए, वहीं से आपको असली खुशी मिलेगी।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—293

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : अमृत की तालाश

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 573