एक दिन रामकृष्ण परमहंस अपने एक शिष्य के साथ नदी किनारे टहल रहे थे। वहां कुछ मछुआरे मछलियां पकड़ रहे थे। परमहंसजी ने शिष्य से कहा कि जाल में फंसी इन मछलियों को ध्यान से देखो। शिष्य ने देखा कि जाल में कई मछलियां फंसी हुई हैं।
गुरु ने कहा कि इस जाल में तीन तरह की मछलियां हैं। पहली वो जो ये मान चुकी हैं कि अब उनका जीवन समाप्त हो गया है। इस कारण वे प्राण बचाने का प्रयास ही नहीं कर रही हैं। दूसरी मछलियां वे हैं जो बचने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन जाल से बाहर नहीं निकल पा रही हैं। तीसरे प्रकार की मछलियां सबसे खास हैं, जो जाल से बाहर निकलने की कोशिश कर रही हैं और पूरी शक्ति लगाकर कोशिश कर रही हैं। सिर्फ ये मछलियां ही जाल से बाहर निकलकर अपने प्राण बचा सकती हैं।
परमहंसजी ने कहा कि ठीक इसी तरह इंसान भी तीन तरह के होते हैं। पहले वे लोग हैं, जिन्होंने दुखों को अपना भाग्य मान लिया है और इसे बदलने की कोशिश ही नहीं करते हैं। दूसरे वे लोग हैं, जो दुखों को दूर करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कुछ ही समय में हार जाते हैं। तीसरे लोग वे हैं जो लगातार प्रयास करते हैं और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के बाद ही रुकते हैं।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, अगर हम किसी लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं तो लगातार प्रयास करना चाहिए। प्रयास तब तक करें, जब तक कि सफलता न मिल जाए। अगर प्रयास में कमी रहेगी तो सफलता नहीं मिल पाएगी।