धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 392

स्वामी विवेकानंद जी केवल आध्‍यात्मिक गुरू नहीं, बल्कि एक बेहद तेज दिमाग के धनी थे। एक समय वह ट्रेन से यात्रा कर रहे थे। उन्‍होंने अपनी कलाई पर एक घड़ी पहनी हुई थी। साथ में यात्रा कर रहीं कुछ शरारती लड़कियों की नज़र उनकी घड़ी पर पड़ी। वे स्वामी विवेकानंद जी की साधारण पोशाक और वेशभूषा का मजाक उड़ाने लगीं।

उन्‍होंने स्वामी विवेकानंद जी महाराज से कहा कि वे उन्‍हें चुपचाप अपनी कलाई पर पहनी घड़ी दे दें नहीं तो वह गार्ड को बुलाकर उनसे शिकायत कर देंगी कि वह लड़कियों को परेशान कर रहे थे। ऐसी स्थित में स्वामी विवेकानंद जी ने अपनी कुशाग्र बुद्धि का इस्‍तेमाल किया। वे शांत रहे और लड़कियों के सामने मूक-बधिर होने का अभिनय करने लगे।

उन्‍होंने लड़कियों से इशारे में कहा कि वे उनकी बात सुन नहीं सकते, इसलिए उन्‍हें जो कहना है वे लिख कर दें। लड़कियों ने वही बात एक कागज पर लिखकर स्वामी विवेकानंद जी को दे दी। उन्‍होंने तेज आवाज लगाकर गार्ड को बुला लिया और उसे कागज थमाते हुए बोले कि मुझे एक शिकायत दर्ज करनी है। इसके बाद लड़कियों को अपनी गलती का अहसास हुआ।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, जब आप किसी विकट परिस्थिती में स्वयं को पाते है तो स्वामी विवेकानंद जी की तरह शांत रहकर बुद्धि का प्रयोग ​करें। बुद्धि का सही प्रयोग आपको बड़ी से बड़ी परेशानी से निकाल सकता है।

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