धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से —396

एक गांव था जहां बारिश नहीं होती थी। वहां के लोग बड़े दु:खी रहते थे। फसल के लिए पानी कहां से लाएं। निराश और दु:खी होकर लोग कई तरह की मन्नते मांगते परंतु कुछ नहीं होता। थोड़ी बहुत बारिश होती और रुक जाती। लोगों को अपनी ही मन्नत और प्रार्थना पर ही शक होने लगा था।

फिर एक दिन गांव में एक साधु आया। वह उस दु:खी गांव में नाचने लगा। लोग उसके नाच को देखने के लिए एकत्रित होने लगे। लोगों को समझ नहीं आया कि ये हो क्या रहा है। साधु अपनी मस्ती में नाचता था। उसके नाचने के दौरान कुछ देर बाद बारिश होने लगी। बारिश भी ऐसी कि पहले कभी नहीं हुई। लोग प्रसन्न हो गए और वह भी उस साधु के साथ नाचने लगे।

लोगों के मन मैं ये धारणा बैठ गई की इस साधु के नाचने से ही बारिश होती है। लोगों ने उस साधु के लिए गांव में ही कुटिया बना दी और वह साधु वहीं रहने लगा। फिर जब भी गांववालों को बारिश की जरूरत होती वह साधु से कहते और साधु नाचने लगता। जब साधु बाबा नाचते तो बारिश शुरू हो जाती थी।

यह खबर धीरे-धीरे पास के एक शहर में फैली कि किसी साधु के नाचने से बारिश हो जाती है। वहां के पढ़े-लिखे कुछ लड़के यह जानने के लिए गांव में आए और उन्होंने गांववालों को कहा कि ये तुम्हारा वहम है साधु के नाचने से बारिश नहीं होती है। कोई भी नाचे तो बारिश हो सकती है और बारिश के समय में तो बारिश होगी ही।

उन लड़कों ने गांववालों को चुनौती दे दी कि हम भी नाचेंगे तो बारिश होगी और अगर हमारे नाचने से नहीं हुई तो उस साधु के नाचने से भी नहीं होगी। यह सुनकर अगले दिन सुबह-सुबह ही गांववाले उन लड़कों को लेकर साधु की कुटिया पर पहुंचे और साधु बाबा को सारी बात बता दी।

अब चुनौती स्वीकार करके शहरी लड़कों ने नाचना शुरू किया। आधे घंटे बाद पहला लड़का थककर बैठ गया, पर बादल नहीं दिखे। एक घंटे बाद दूसरा भी बैठ गया और बादलों का नामोनिशान तक नहीं था। फिर बाकी के लड़के भी नाच-नाचकर थक गए और बैठ गए, पर बारिश नहीं हुई।

गांववालों ने कहा कि अब साधु बाबा की बारी है। साधु बाबा ने नाचना शुरू किया, एक घंटा बीता, बारिश नहीं हुई, परंतु साधु बाबा नाचते रहे। दो घंटा बीता बारिश नहीं हुई फिर भी साधु बाबा रुकने का नाम तक नहीं ले रहे थे। धीरे-धीरे सूर्यास्त होने लाग और साधु का नाच भी बढ़ने लगा। तभी बादलों की गर्जना सुनाई देने लगी। सभी की आंखें आसमान में टिक गई। कुछ ही देर बाद भारी बारिश शुरू हो गई।

सभी लड़के ये देखकर दंग रह गए और क्षमा मांगते हुए साधु बाबा से पूछा- यह कैसे संभव हुआ कि हमारे नाचने से बारिश नहीं हुई लेकिन आपके नाचने से हो गई?

साधु बाबा ने कहा कि तीन बातें ध्यान रखने की है। पहला विश्वास होना जरूरी है। दूसरी यह कि मैं ये सोचता हूं कि अगर मैं नाचूंगा तो बारिश को होना ही पड़ेगा और तीसरी ये कि मैं तब तक नाचूंगा जब तक कि बारिश न हो जाए।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ ली, आप अपनी सफलता के प्रति विश्वास रखें, सफल होंगे यह तय मान लें और तब तक प्रयास करते रहें जब तक की आप सफल नहीं हो जाते हैं। मतलब आपको रुकना नहीं है। जब तक लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते हैं तब तक लगे रहें।

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