धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—480

एक किसान को अक्सर अपने काम के सिलसिले में शहर जाना पड़ता था। वह गांव से शहर का सफर या तो बैलगाड़ी से तय करता या पैदल जाता। इस कारण उसे विलंब हो जाता। एक दिन वह शहर के बाजार में खरीदारी कर रहा था तो उसे एक घोड़ा बेचने वाला दिखाई दिया। उसने विचार किया कि घोड़े से उसका सफर अधिक तेजी से तय होगा, इसलिए इसे खरीद लेना चाहिए।

उसने उचित मोल-भाव कर एक अच्छा घोड़ा खरीद लिया। घोड़े वाले ने उसे समझाया कि वह घोड़े को अच्छी खुराक दे और उसके पैरों की नाल कसकर रखे तो घोड़ा लंबे समय तक साथ देगा। किसान के लिए अब गांव से शहर का सफर करना आसान हो गया। वह बहुत प्रसन्‍न था, क्योंकि अब उसका सफर बहुत जल्दी तय हो जाता था।

कुछ दिनों के बाद घोड़े के खुरों की नालें कुछ ढीली हो गई। किसान ने सोचा अभी तो घोड़ा चल ही रहा है, जब समय मिलेगा तो इन्हें ठीक करवा लूंगा। इस तरह किसान नाल की मरम्मत को कई दिन तक टालता रहा। एक दिन वह गांव से शहर जाने के लिए घोड़े पर निकला, तभी उसने देखा कि घोडे के खुरों की नालें कुछ ज्यादा ही ढीली पड़ गई हैं।

किसान ने सोचा कि अभी तो घोड़ा चल ही रहा है। शहर पहुंचकर इसे ठीक करवा लूंगा, यह सोचकर वह गांव से घोड़ा लेकर निकल पड़ा। हालांकि घोड़े की चाल इस कारण धीमी हो गई थी। किंतु किसान ने इसे भी अनदेखा कर दिया। थोड़ी दूर जाने पर घुड़सवार डाकू किसान के पीछे लग गए।

किसान ने खतरा देख अपने घोड़े को तेज भगाने की कोशिश की, लेकिन तभी घोड़े के दो खुरों की नालें निकल गई। किसान का घोड़ा तेज भागने में असमर्थ हो गया। तभी डाकुओं के घोड़े तेजी से दौड़ते हुए किसान तक पहुंच गए और किसान को घेर लिया। डाकू किसान का सारा धन लूट कर ले गए।

किसान पछताने लगा कि यदि उसने समय पर घोड़े के खुरों की नालों की मरम्मत कर ली होती तो वह तेजी से अपने घोड़े को भगाकर डाकुओं की पहुंच से दूर जा सकता था और उसका धन लुटने से बच सकता था। पर अब वह पछताने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, निरंतर किसी काम को टालते रहने से एक दिन परेशानी अवश्य खड़ी होती है और तब उसकी उपयोगिता मालूम होती है। इसलिए प्रत्येक काम को समय रहते पूरा कर लेना चाहिए।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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