धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-676

अयोध्या का राजकुमार श्रीराम जब वनवास के लिए निकले, तो उनके पास न तो राजसिंहासन था, न सेना, न धन। लेकिन उनके पास चार अमूल्य गुण थे – सत्य, वचनबद्धता, धैर्य और टीम बनाने की क्षमता। यही गुण आज के बिज़नेस जगत में भी सबसे बड़े हथियार हैं।

वन में श्रीराम ने विभिन्न जाति-समुदाय, संस्कृति और सोच वाले लोगों को जोड़ा – हनुमान, सुग्रीव, अंगद, जामवंत और अंत में समुद्र पार करने के लिए नल-नील जैसे इंजीनियर। यह बिल्कुल आज की टीम मैनेजमेंट और नेटवर्किंग जैसा है।

जब लंका विजय का समय आया, तो राम ने युद्ध से पहले शांति वार्ता का प्रस्ताव भेजा – यह आधुनिक बिज़नेस की नेगोशिएशन स्ट्रेटजी जैसी थी।
अगर शांति से समाधान हो जाता, तो युद्ध और नुकसान टल सकता था।
पर जब रावण नहीं माना, तब राम ने सही रणनीति और नेतृत्व से विजय पाई।

बिज़नेस के लिए सबक

1. सत्य और ईमानदारी – जैसे राम ने कभी वचन नहीं तोड़ा, वैसे ही बिज़नेस में भरोसा ही असली पूंजी है।

2. टीमवर्क और नेटवर्किंग – अलग-अलग क्षमताओं वाले लोगों को जोड़कर बड़ा लक्ष्य पूरा किया।

3. नेगोशिएशन स्किल – पहले शांति वार्ता, फिर युद्ध की तैयारी। यानी पहले बातचीत, फिर अंतिम निर्णय।

4. लीडरशिप – खुद कठिनाइयाँ झेलकर दूसरों को प्रेरित किया।

5. लॉन्ग-टर्म विज़न – राम का ध्येय केवल सीता जी को लाना नहीं था, बल्कि धर्म की स्थापना करना भी था।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, इस तरह श्रीराम का जीवन हमें सिखाता है कि बिज़नेस में सिर्फ़ मुनाफ़ा ही नहीं, बल्कि सिद्धांत, भरोसा और सही नेतृत्व ही स्थायी सफलता की कुंजी है।

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