धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—160

एक महिला बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति थी ओर उसने गुरु से नाम दान भी लिया हुआ था। भजन सिमरन व सेवा भी करती थी। किसी को कभी गलत नहीं बोला, सब से प्रेम से मिलकर रहना उस की आदत बन गई थी। वो सिर्फ एक चीज़ से दुखी थी की उस का आदमी उसके साथ रोज़ किसी न किसी बात पर लड़ाई-झगड़ा करता था। उस आदमी ने उसे कई बार उसे इतना मारा की उस की हड्डी भी टूट गई थी। लेकिन उस आदमी का यह रोज़ का काम था।

उस महिला ने अपने गुरु महाराज जी से विनती की हे गुरुदेव मेरे से कौन—से भूल हुए है? मैं सत्संग मे भी आती हूँ। सेवा भी करती हूँ। भजन सिमरन भी आप के कहे अनुसार करती हूँ। लेकिन मेरा पति मुझे रोज़ मारता है। मैं क्या करूँ?

गुरु महाराज जी ने कहा: क्या वो तुझे रोटी देता है? महिला ने कहा: हाँ जी, रोटी तो देता है।

गुरु महाराज जी ने कहा: फिर ठीक है। कोई बात नहीं।
उस महिला ने सोचा की अब शायद गुरु जी की कोई दया हो जाए और वो उस को मारना-पीटना छोड़ दे। परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसकी तो आदत ही बन गई थी रोज़ अपनी पत्नी की पिटाई करना।

समय के साथ कुछ साल और निकल गए। उस ने फिर से महाराज जी से कहा की मेरा पति मुझे रोज़ मारता-पीटता है। मेरा कसूर क्या है?

गुरु महाराज ने फिर कहा: क्या वह तुम्हें रोटी देता है? उस महिला ने कहा: हां जी देता है।

महाराज जी ने कहा: फिर ठीक है। तुम अपने घर जाओ।

महिला बहुत निराश हुई। लेकिन महाराज जी ने कहा ठीक है। वो घर आ गई लेकिन उसके आदमी का स्वभाव वैसे का वैसा रहा। रोज़ उस ने लड़ाई-झगडा करना। अब वो महिला बहुत तंग आ गई थी।

कुछ एक साल गुज़रे फिर गुरु महाराज जी के पास गई और बोली, वो मुझे अभी भी मारता है। मेरी हाथ की हड्डी भी टूट गई है। मेरा कसूर क्या है? मैं सेवा भी करती हूँ। सिमरन भी करती हूँ, फिर भी मुझे जिंदगी में सुख-शांति क्यों नहीं मिल रही?

गुरु महाराज जी ने फिर कहा: वो तुझे रोटी देता है? उस ने कहा: हां जी, देता है। महाराज जी ने कहा फिर ठीक है। परन्तु इस बार वह महिला जोर-जोर से रोने लगी और बोली कि महाराज जी मुझे मेरा कसूर तो बताओं..!

मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया, फिर मेरे साथ ऐसा बरताव क्यों हो रहा है? महाराज जी कुछ देर शांत हुए। फिर बोले: बेटी तुम्हारा पति पिछले जन्म में तुम्हारा बेटा था। और तुम उसकी सोतेली माँ थी।

तुम रोज़ उस को सुबह-शाम मारती रहती थी। और उस को कई कई दिन तक खाना नहीं देती थी। भगवान का शुक्र मना कि इस जन्म में वो तुझे रोटी तो दे रहा है। ये बात सुन कर महिला एक दम चुप हो गई!!!

गुरु महाराज जी ने कहा बेटा! जो कर्म तुमने किए है उस का फल तो तुम्हें अवश्य भुगतना पड़ेगा। फिर उस महिला ने कभी महाराज जी से शिकायत नहीं की, क्योंकि वो अब सच को जान गई थी।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, हमें कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए। सब से प्रेम-प्यार और शालीनता के साथ रहना चाहिए। हमारी जिन्दगी में जो कुछ भी हो रहा है, वह सब हमारे कर्मों का लेखा-जोखा है। जिस का हिसाब-किताब तो हमें देना ही पड़ेगा।

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