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शिव महायोग में मनेगा महाशिवरात्रि का पावन पर्व : आचार्य राजेश पराशर

हिसार,
शिव कृपा का प्रसाद पाने का श्रेष्ठ दिन महाशिवरात्रि का पावन पर्व 11 मार्च, गुरुवार को है। इस दिन सुबह 9 बजकर 22 मिनट तक महान कल्याणकारी शिवयोग भी विद्यमान रहेगा। उसके बाद सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाला सिद्धयोग आरम्भ हो जाएगा। शिव योग को स्वयं भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त है। कहा गया है कि इस दौरान कोई भी धर्म-कर्म मांगलिक अनुष्ठान आदि कार्य करेे तो वह संकल्पित कार्य कभी भी बाधित नहीं होगा, उस कार्य का सुपरिणाम कभी निष्फल नहीं रहेगा इसीलिए इस योग में किये गए शुभ कर्मों का फल अक्षुण्य रहता है। सिद्ध योग में भी शुभ कार्य आरम्भ करके कार्यसिद्धि प्राप्त की जा सकती है।
हनुमान मंदिर, मोती बाजार के आचार्य राजेश पराशर ने बताया कि इन योगों के विद्यमान रहने पर रुद्राभिषेक करना, शिव नाम कीर्तन करना, शिवपुराण का पाठ करना अथवा शिव कथा सुनना, दान पुण्य करना तथा ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना अतिशुभ माना गया है। इस दिन की प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है। कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है। धन चाहने वाले को धन मिलता है, मोक्ष की इच्छा रखने वाले को मोक्ष मिलता है और अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021 (बृहस्पतिवार)
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 12 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक
शिवरात्रि पारण समय- 12 मार्च की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक
शिव योग में महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
आचार्य राजेश पराशर ने बताया कि भगवान शिव को देवादि देव, महादेव, शंकर, नीलकंठ, भोलेनाथ, शिव-शम्भू, महेश और भोले भंडारी जैसे अनेकों नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि तन-मन और पूर्ण श्रद्धा से जो कोई भी भोले भंडारी की आराधना करता है, उसे मनोवांछित फल मिलता है। वे अपने भक्तों के दुख और परेशानियों को देख नहीं पाते। महाशिवरात्रि के मौके पर भक्त दिन-भर भूखे-प्यासे रहकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। हिंदू धर्म में शिवरात्रि का बहुत ज्यादा महत्व है। इस महाशिवरात्रि पर शिव योग और सिद्ध योग भी है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। यह तिथि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आती है। इस दिन शिव योग बन रहा है, साथ ही इस दिन नक्षत्र घनिष्ठा रहेगा और चंद्रमा मकर राशि में विराजमान रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा की जाती है।
महाशिवरात्रि की पूजन विधि
– महाशिवरात्रि के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
– इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
– जल चढ़ाने के लिए सबसे पहले तांबे के एक लोटे में गंगाजल लें, अगर ज्यादा गंगाजल न हो तो सादे पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं।
– अब लोटे में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और ऊं नम: शिवाय बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
– जल चढ़ाने के बाद चावल, बेलपत्र, सुगंधित पुष्प, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्ठान एक-एक कर चढ़ाएं।
– अब शमी के पत्ते चढ़ाते हुए ये मंत्र बोलें।
अमंगलाना च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
– शमी के पत्ते चढ़ाने के बाद शिवजी को धूप और दीपक दिखाएं।
– इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें.
– अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से भगवान शिव की आरती उतारें।
– महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखें और फलाहार करें।
– सायंकाल या रात्रिकाल में शिवजी की स्तुति पाठ करें।
– शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करना फलदाई माना जाता है।
– शिवरात्रि का पूजन निशीथ काल में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है। रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों पहरों में से किसी भी एक पहर में सच्ची श्रद्धा भाव से शिव पूजन कर सकते हैं।
शिव एकादशाक्षरी मंत्र..
ओम नम: शिवाय शिवाय नम:

फोटो संलग्र:- आचार्य राजेश पराशर
सम्पर्क : 9728414100

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