वर्तमान युग में साहित्यिक दर्पण को धुंधला होने से बचाना होगा
राजकीय महाविद्यालय में हिंदी साहित्य परिषद के तत्वावधान में विस्तार व्याख्यान आयोजित
हिसार,
वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने के लिए जितनी भूमिका विश्व स्वास्थ्य संगठन, किसी भी देश की सरकार व उसके चिकित्सकों की है उतनी ही भूमिका साहित्य व साहित्यकारों की भी है।
यह बात राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग व हिंदी साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘वैश्विक महामारी के दौर में साहित्य चिंतन’ विषय पर विस्तार व्याख्यान को संबोधित करते हुए रिसोर्स पर्सन डॉ. संदीप कुमार सिंहमार ने कही। उन्होंने कहा कि विश्व में जब भी कभी किसी भी महामारी ने लोगों को अपनी चपेट में लिया है तब साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से लोगों को महामारी से उभारने का काम किया। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। यह साहित्य रूपी दर्पण वर्तमान में जो भी घटित होता है, उसे उसी रूप में लोगों को दिखाता है। डॉ. संदीप कुमार सिंहमार ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब भी कभी ऐसी महामारी आई है तो साहित्यकारों में अपनी लेखनी के माध्यम से महामारी से संबंधित भयावहता को रेखांकित करने के साथ-साथ लोगों का मनोबल नहीं गिरने दिया। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि वर्तमान समय में साहित्य रूपी यह दर्पण कुछ स्तर पर धुंधला नजर आ रहा है। इस धुंधले होते साहित्य रूपी दर्पण को खुद साहित्यकारों ने ही धुंधला होने से बचाने के लिए आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी आने के बाद हमारे देश में जब मार्च 2020 में सबसे पहले लॉकडाउन लगा तो उस दौरान अपने-अपने घरों में रहते हुए लोगों को मोबाइल फोन के साथ-साथ साहित्य से भी दोस्ती करनी पड़ी। साहित्य से जुडऩा इस समय की सबसे बड़ी सकारात्मकता कही जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान साहित्यकारों में कुछ परिवर्तन भी देखने को मिले। इस दौरान साहित्यकार लेखनी चलाने के बजाय ऑनलाइन ज्यादा नजर आए। साहित्यकारों के इस सार्थक पहल से विद्यार्थियों व समाज के प्रबुद्ध लोगों ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म से जुडक़र ऑनलाइन संगोष्ठियों का लाभ भी उठाया। ऐसा करने से जहां लोगों का मनोबल गिरने से बच गया वहीं साहित्यकारों ने अपना फर्ज भी निभा दिया।
महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. निहाल सिंह ने कहा कि वर्तमान में महामारी के इस दौर में साहित्य व साहित्यकारों की भूमिका पहले से अधिक बड़ी है। विद्यार्थियों के साथ-साथ हर किसी व्यक्ति को साहित्य को करीब से देखना चाहिए। हिंदी साहित्य परिषद की अध्यक्ष डॉ. कमलेश दुहन ने रिसोर्स पर्सन डॉ. संदीप सिंहमार का स्वागत करते हुए उनका परिचय करवाया।असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजपाल ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विस्तार व्याख्यान में वैश्विक महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक का पूरी गहनता के साथ साहित्यिक चिंतन किया है। हम सब इस व्याख्यान से लाभान्वित होंगे। इस मौके पर हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. दीपमाला,हिंदी साहित्य परिषद की अध्यक्ष डॉ. कमलेश दुहन,डॉ. कमलेश ख्यालिया,डॉ. रूबी चौधरी,डॉ. राजेन्द्र प्रसाद,श्रीमती जीतबाला, डॉ. शमशेर सिंह,श्रीमती सुषमा,रक्षा अध्ययन विभाग की विभागाध्यक्ष लेफ्टिनेंट डॉ. स्नेहलता,डॉ. सतीश कुमार व अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. निर्मल बूरा सहित विद्यार्थी मौजूद थे।