हिसार

गुरू जम्भेश्वर के दिखाए रास्ते पर चलकर करें समाज व बच्चों का कल्याण : ओमप्रकाश राहड़

धर्म प्रचारक बोले, वारों के चक्कर में पडक़र न करें बच्चों के जीवन से खिलवाड़

हिसार,
श्री जांभाणी धर्म प्रचार सेवा समिति जम्भशक्ति चौक सदलपुर के अध्यक्ष ओमप्रकाश राहड़ ने कहा है कि बिश्नोई धर्म गुरू श्री जम्भेश्वर भगवान ने आज से 535 वर्ष विक्रम संवत 1542 कार्तिक वदी अष्टमी को हमें जो रास्ता दिखाया था, उसे अपनाना होगा। उसी रास्ते पर चलकर हम अपने बच्चों व समाज का कल्याण कर सकते हैं।
ओमप्रकाश राहड़ ने कहा कि गुरू जम्भेश्वर भगवान ने हमें बताया कि हम इस संसार में किस ढंग से रहें व कैसे जीवन जीएं। उसके लिए गुरू जी ने हमें 29 नियमों की आचार संहिता प्रदान की। भगवान श्री जांभोजी ने प्रथम नियम बताया 30 दिन सूतक रखना। इस नियम की बड़ी ही प्रगाढ़ महिमा है, क्योंकि ये नियम मानव समाज के निर्माण की नींव हैं। अगर मानव की नींव मजबूत है तो पूरा जीवन खुशहाल रहता है। तीस दिन का जो विधान बताया उसके पीछे बहुत बड़ा वैज्ञानिक कारण भी है। चन्द्रमा की कला पन्द्रह दिन घटती है और पन्द्रह दिन बढ़ती है। किसी भी ग्रह नक्षत्रों का कोई बुरा प्रभाव उस बच्चे के जीवन पर ना पड़े उससे बचाने के लिए ऐसा विधान बताया और तीस दिन तक जच्चा और बच्चा एकांतवास के अलग कमरे में रहें तथा उस दौरान जच्चा को पोष्टिक आहार ही दें, जिससे मां और बच्चे दोनों सेहतमंद हो।
ओमप्रकाश राहड़, जो आजकल बिश्नोई धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे हैं, ने बताया कि हम वारों के चक्कर में पडक़र अपनी औलाद के संस्कार बिगाड़ देते हैं कि आज शनिवार है, आज मंगलवार है या आज अमुक वार है, इसलिए संस्कार नहीं करवायेंगे। जन्म और मृत्यु के बीच में वारों की कोई अड़चन नहीं है, तो हमें ठीक तीसवें दिन ही किसी संस्कारवान सज्जन को घर बुला कर सही विधि विधान से पूर्ण यज्ञ हवन के साथ ही उसका संस्कार सम्पन्न करवाना चाहिए। ये मां बाप का अपनी संतान के प्रति प्रथम परम कर्तव्य होता है। हमें संस्कारों की ओर सजग रहने की परम आवश्यकता है।

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