आदमपुर,
आज पूरे राष्ट्र के सामने महामारी ने चुनौती खड़ी कर दी है। ऐसे में संत समाज को आगे आकर देश को इस कठिन परिस्थिती से बाहर निकालने में सरकार की मदद करनी चाहिए। यह बात प्रणामी मिशन के प्रमुख संत स्वामी श्री सदानंद जी महाराज ने विजय—वरुण सदलपुरियां के आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को आनलाइन प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन संस्कृति शुद्धता और स्वच्छता की रही है। कोरोना महामारी को रोकने में शुद्धता और स्वच्छता का ही बड़ा योगदान है।
प्रणामी संत ने कहा भारतीय संस्कृति में कभी भी बाहर के जूते घर के भीतर नहीं लाए जाते थे। बाहर से आने वाले घर में प्रवेश से पहले हाथ—पैर धोते थे। बिना हाथ धोए कुछ नहीं खाते थे। किसी की जुठन को कभी नहीं खाया जाता था। लेकिन आधुनिक होते मानव ने हाथ धोकर खाना छोड़ दिया। बाहर के जुते रसोईघर तक पहुंच गए। आज घरों में सफाई तो है लेकिन शुद्धता और स्वच्छता नहीं है। ऐसे में आमजन बिमारियों के वायरस को घर में निवास देने का का काम कर रहा है।
संत समाज को अब एकजुट होकर मानव जाति को समझाना होगा कि जीवन शैली में बदलाव करते हुए भारतीय संस्कृति के अनुरुप व्यवहार को जीवन का हिस्सा बनाएं। खान—पान और रहन—सहन का सही तरीका अपनाकर हम कोरोना सहित सभी वायरस पर विजय हांसिल कर सकते हैं। हाथ मिलाने के स्थान पर प्रणाम करने की आदत डाले। इस दौरान उन्होंने कृष्ण—सुदामा मित्रता और राजा परिक्षित की कथा का श्रवणपान भक्तों को करवाया।