हिसार,
मसूदपुर और डाटा के बाद वीरवार को उमरा, महजद व माजरा में ग्रामीणों ने पंचायत का आयोजन करके असहयोग आंदोलन की नींव रखी। तीनों पंचायतों ने अपने—अपने गांव से लॉकडाउन हटा दिया। गांव की सभी दुकानों को खुलवा दिया और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों को गांव से चले जाने का निर्देश दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि जब सूबे के मुखिया अपने साथ भीड़ लेकर चल सकते हैं तो आमजन के लिए लॉकडाउन और धारा 144 क्यों? एक प्रदेश में दो विधान नहीं हो सकते। किसानों को सीएम का विरोध करने पर बर्बरतापूर्वक पीटा गया। बुजुर्ग महिला तक को पुलिस ने नहीं बख्शा और अब केस भी किसानों पर दर्ज कर दिए। ऐसे में सरकार और प्रशासन के खिलाफ वे एकमत होकर लॉकडाउन को हटा रहे हैं। अब वे प्रशासन और पुलिस को गांव में नहीं घुसने देंगे।
पंचायत ने कहा कि सभी को अपनी मेहनत—मजदूरी करके कमाने का हक है। नेता लोग तो सरेआम काफिला लेकर घुमते हैं और दुकानदारों— मजदूरों के लिए लॉकडाउन लगा दिया। ऐसे दोगले नियमों को वो नहीं मानेंगे और शासन—प्रशासन का बहिष्कार करेंगे।