हिसार

आदमपुर : परेशान दुकानदारों ने सरकार से बाजार खोलने की मांग की

आदमपुर,
आदमपुर का मध्यम वर्ग अब लॉकडाउन से परेशान हो चुका है। मध्यम वर्ग के दुकानदारों का कहना है कि दुकान व घर का मालिक किराया मांगने लगे है। बिजली के बिल आने लगे हैं। राशन वाला भी अब कुछ पैसे देने की मांग करने लगा है। ऐसे में दुकानें बंद होने से उनका घर खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है। सरकार को अब लॉकडाउन में राहत देते हुए सुबह 9 बजे से 12 बजे तक बाजार खोलने की अनुमति देनी चाहिए। ताकि सभी का घर खर्च आसानी से निकल सके।

मेन बाजार के व्यापारी बजरंग शर्मा ने कहा लॉकडाउन लगने से पहले ही उन्होंने बड़ी मात्रा में कूलर, पंखें, एसी और मिक्सी का स्टॉक कर लिया था। गर्मी के सीजन में इनकी खूब बिक्री होती है। लेकिन सरकार ने ऐन मौके पर लॉकडाउन लगा दिया। इससे उनको गोदाम का किराया भी भरना पड़ रहा है और स्टॉक किए गए समान का ब्याज भी भरना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, यदि इस सीजन में ये समान नहीं बिका तो गोदाम में रखे ही इनकी वारंटी भी समाप्त हो जायेगी। उन्होंने कहा बाजार बंद होने के बाद भी लोग बाजारों में घुमते रहते हैं। ऐसे में यदि दुकानें खुली होगी तो छोटे दुकानदारों को घर चलाने की चिंता तो नहीं रहेगी।

पुस्तक विक्रेता वी.के.जैन का कहना है कि अप्रैल में स्कूल खुले थे। इसके चलते उन्होंने स्टेशनरी का बड़ा आर्डर दे दिया था। अब गोदाम में माल रखा है। बाजार बंद है। ऐसे में आधे माल को चूहे ही खराब कर देंगे। सरकार जब शराब ठेकेदारों को स्टॉक समाप्त करने तक ठेके खोलने की अनुमति दे सकती है तो दुकानदारों को स्टॉक समाप्त करने की छूट देनी चाहिए।

जनरल स्टोर की दुकान करने वाले राजेश का कहना है कि दुकानें बंद है लेकिन किराया चालु है। इससे छोटे दुकानदार तो बर्बाद होने की कगार पर आ गए है। वहीं मोबाइल की दुकान करने वाले पवन शर्मा ने कहा कि उनके ग्राहक अब फोने करने मोबाइल रिचार्ज करवा लेते हैं। पैसे दुकान खुलने पर देने की बात कहते हैं। ऐसे में उनको मजबूरी में उधार में रिचार्ज करना पड़ता है। नगद वाले ग्राहक दुकानें बंद होने से बचे नहीं, उधार न दे तो भाईचारा समाप्त हो जाता है। ऐसी स्थिती में वे अपना रिचार्ज करने के लिए पैसे कहां से लाएं। मोबाइल कंपनी वाले तो पहले पैसे ले लेते है, बाद में पैसे डालते हैं।

शिव कुमार का कहना है कि हलवाई की दुकान पर कम से कम 10 लोगों का स्टाफ होता है। ऐसे में दुकान बंद होने से उनको वेतन देना काफी मुश्किल हो गया है। इन लोगों को आगे घरों का किराया देना होता है, राशन वाले के पैसे देने होते हैं—ऐसे में वे हमसे पैसे मांगते है। पिछले पूरे साल करीब—करीब दुकाने बंद रही। अब फिर लगातार दुकान बंद है। इस स्थिती में वे लेबर को पैसे कहां से दे। सरकार को चाहिए कि वे किरयाणा व्यापारियों की तर्ज पर सुबह कुछ घंटों के लिए दुकानों को खुलवाएं ताकि सभी आजीविका सुचारु चल सके।

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