हिसार

आदमपुर : प्रोफेसर कॉलोनी में सिवरेज व्यवस्था बद्हाल, विभाग ने पल्ला झाड़ा—लोग परेशान

आदमपुर,
कॉलेज के पास स्थित प्रोफेसर कॉलोनी के लोग सिवरेज की समस्या से पिछले डेढ़ साल से चल रही है। बार—बार जनस्वास्थ्य विभाग के चक्कर काटने के बाद सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवाई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहा है। यहां के निवासी सुरेंद्र सिंह, रोहित, महावीर, प्रताप सिंह, लालचंद व मांगेराम का कहना है कि सीवर लाइन जगह—जगह से टूटी हुई है। इसके चलते गंदा पानी सड़कों पर जमा रहता है। जिससे वातावरण में बदबू फैली रहती है और मच्छरों का सम्राज्य स्थापित हो गया है।

बिल भर रहे हैं, व्यवस्था करे विभाग
भादर चंद, जैलाराम, रामनंद शर्मा व भरत सिंह ने आरोप लगाया कि सीएम विंडो पर शिकायत करने पर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रोफेसर कॉलोनी प्राइवेट है। ऐसे में सिवर की समस्या विभाग ठीक नहीं कर सकता। इन लोगों का कहना है कि उन्होंने विभाग में फाइल जमा करवाकर कनैक्शन लिया था। अब रेगुलर उनके पास बिल आ रहा है और वे समय पर बिल का भुगतान कर रहे हैं। ऐसे में कॉलोनी के प्राइवेट होने का सवाल कहां से पैदा हो गया। जब विभाग कनैक्शन जारी कर रहा है और बिल ले रहा तो यहां पर व्यवस्था बनाना भी उसका काम है। अधिका​री लोगों के स्वास्थ के साथ कैसे खिलवाड़ कर सकते हैं। वे अपनी जिम्मेवारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते।

विभाग ने नहीं बिछाई कोई लाइन
वहीं इस मामले में जेई नीरज शर्मा का कहना है ट्वीटर व सीएम विंडो से शिकायत मिली थी। इस कॉलोनी उनके विभाग ने लाइन नहीं बिछाई है। ये पूरी लाइन प्राइवेट क्लोनाजर की बिछाई हुई है। वहीं उन्होंने बताया कि विभाग व्यक्ति के नाम पर बिल भेजता है। ऐसे में कई लोग वैध कॉलोनी में रहते हुए प्राइवेट कॉलोनी में शिफ्ट कर जाता है और विभाग को इस बारे में जानकारी नहीं देता और ऐसे में उसका बिल चलता रहता है। साथ ही उन्होंने कहा विभाग जब भी कनैक्शन देता है तो उसमें साफ लिखा होता है कि सिवरेज की लाइन से कनैक्शन अगर 70 फुट की दूरी पर है तो उसके रखरखाव की विभाग की जिम्मेवारी नहीं होगी। लोगों को इस मामले में क्लोनाइजर से मिलना चाहिए और उससे सिवरेज लाइन के दस्तावेज मांगने चाहिए।

लोग परेशान क्लोनाइजर मालामाल
कुल मिलाकर प्राइवेट कॉलोनी होने के कारण प्रोफेसर कॉलोनी के लोग परेशान है। प्राइवेट कॉलोनी काटते समय क्लोनाइजर प्राइवेट रुप से सिवरेज लाइन बिछा देते हैं, लेकिन लोगों को प्लाट बेच कर मामले से पल्ला झाड़ लेते हैं। इस पूरे खेल में सरकारी विभाग और लोग परेशान होते रहते है और क्लोनाइजर पैसे बनाकर पूरे मामले से अगल हो जाते हैं।

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Jeewan Aadhar Editor Desk