टोक्यो,
भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ओलिंपिक के फाइन में पहुंच गए हैं। इसके साथ ही भारत का टोक्यो ओलिंपिक में चौथा मेडल तय कर हो गया है।
रवि ने 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी के अंतिम 4 मुकाबले में कजाकिस्तान के नूरीस्लाम सनायेव को हराया। इस मैच में जीत हासिल करते ही उन्होंने गोल्ड या सिल्वर में से एक मेडल पक्का कर लिया है। रवि ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाले अब तक के सिर्फ दूसरे पहलवान बन गए हैं। उनसे पहले सुशील कुमार 2012 में फाइनल में पहुंचे थे।
1997 में रवि दहिया का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में हुआ था। उनके पिता एक किसान थे, लेकिन उसके पास अपनी जमीन तक नहीं थी। वो पट्टे की जमीन पर खेती किया करते थे। 10 साल की उम्र से ही रवि ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। उन्होंने 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह से ट्रेनिंग ली है।
रवि दहिया को पहलवान बनाने में उनके पिता का बहुत बड़ा हाथ है। आर्थिक तंगी होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की ट्रेनिंग में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके पिता राकेश हर रोज अपने गांव से छत्रसाल स्टेडियम तक की 40 किलोमीटर की दूरी तय कर रवि तक दूध और फल पहुंचाते थे।