हिसार,
संस्कृत जिसकी जननी है, देवनागरी जिसकी लिपि है। कोमल भावों की उद्भोदनी है, यह प्रेम गंध प्रवाहिनी है। सूर का वातसल्य रस है यह, तुलसी की लोक कल्याण की भावना तो जायसी की अविरल प्रेमधारा है यह, यह मेरी तेरी या उसकी नहीं हम सबकी भाषा है, हम जानें चाहे कितनी ही भाषाएं पर हिन्दी को जरूर अपनाएं। पहले बने यह भारत की राष्ट्र भाषा फिर सभी विदेशी भी इसे अपनायें तो विश्व की भाषा हिन्दी बन जाये और भारत विश्वगुरु बन जाये।
ये पंक्तियां वैश्य कॉलेज, रोहतक में हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. राजल गुप्ता ने हिसार में कही। वे 14 सितम्बर को हिंदी दिवस से पूर्व मनाये जाने वाले हिंदी पखवाड़ा के तहत बगला रोड स्थित श्री कृष्ण प्रणामी पब्लिक स्कूल में आयोजित हिन्दी व्याख्यान में मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रही थी। उन्होंने बताया कि देश में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा तो मिला है लेकिन अब तक राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला है। हिन्दी की जननी विश्व की प्राचीनतम संस्कृत भाषा है। यह प्रेम भाव प्रकट करने के लिए सबसे अच्छी भाषा है। हिन्दी भाषा के साहित्य को पढऩे व समझने वाले के अंदर अच्छा मानवीय भाव उत्पन्न होता है। उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि आज देशभर में यह चलन हो गया है कि जो अंग्रेजी भाषा बोलता है उसे अधिक समझदार माना जाता है जबकि ऐसा नहीं है। हिन्दी के ज्ञाता एक से बढक़र एक ज्ञानी व विद्वान पहले हुए हैं और आज भी मौजूद हैं। व्यक्ति को अपने विषय की पकड़ होनी चाहिए और कहने का तरीका पता हो तो हिन्दी से अच्छी कोई भाषा नहीं। उन्होंने कहा कि हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाना जरूरी है। इस मौके पर डा. राजल गुप्ता ने बच्चों को हिन्दी भाषा लिखते हुए सामान्य तौर पर की जाने वाली गलतियों व हिन्दी व्याकरण के बारे में बताया और कहा कि कि हिन्दी एक वैज्ञानिक भाषा है। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को स्वरचित हिन्दी कविताएं भी सुनाई।
व्याख्यान में संस्था के चेयरमैन प्रो. एसएन टेलटिया व उनकी धर्मपत्नी कांता टेलटिया भी उपस्थित थे। स्कूल की प्राचार्या नीरु भाटिया ने मुख्य वक्ता का धन्यवाद करते हुए बच्चों को उनके द्वारा बताए गए नैतिक मूल्यों को जीवन में ग्रहण करने के लिए प्रेेरित किया।