मजा ही कुछ और हो
माँ-माँ-माँ पुकारते ही,
माँ के दर्शन साक्षात हो
माँ का मिले आशीर्वाद
फिर दिनचर्या की शुरुआत हो
तो मजा ही कुछ और हो..
सिर पर माँ का हाथ हो
जीवन भर माँ का साथ हो
रात्रि, सायंकाल या प्रभात हो
घर पर माँ देखती बाट हो
तो मजा ही कुछ और हो..
माँ के साथ दुख-सुख बांट सकते हों
माँ की गोद में लोट सकते हो
माँ का अथाह प्यार पाकर,
खुद को खुशनसीब मानते हों
तो मजा ही कुछ और हो..
माँ के सुनते अल्फाज हों
माँ के दर्शनों के कभी नहीं मोहताज हों
माँ करती हम पर नाज हो।
माँ के नाम से ही खुशियों का आगाज हो
तो मजा ही कुछ और हो..
सभी को मिलता है माँ का साथ
कम ज्यादा हो सकता है साथ
काश! स्थाई हो माँ का साथ
तब जिंदगी हो जाए ठाठम-ठाठ
तो मजा ही कुछ और हो..
-(पुष्कर दत्त)
मो : 9416338524