हिसार

पर्यावरण प्रेमियों ने बहन के भात में उपहार स्वरूप दिए 101 पौधे

101 भातियों ने अपनी बहन को उपहार स्वरूप दिया एक-एक पौधा

पर्यावरण प्रेमियों का अनोखा भात बना चर्चा का विषय, पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाती अनोखी मिसाल

हिसार,
प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने वाले गांव तलवंडी राणा गांव ने अपनी बेटी के भात में 101 पौधे उपहार स्वरूप भेंट कर पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मिसाल पेश की है। इसके साथ ही इस गांव में होने वाली सभी शादियों में पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी इस प्रकार की रस्में निभाने की कवायद भी आरंभ हो गई है। व्यक्तिगत रस्म रिवाजों के साथ पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाता यह भात दिन भर ग्रामीणों के मध्य चर्चा का विषय बना रहा।
जानकारी के अनुसार तलवंडी राणा निवासी राह ग्रुप फाऊंडेशन के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ की बहन एवं धर्मपाल सेलपाड़ की पुत्री सुमन के बेटे बालसमंद निवासी अमन तंवर की शादी 10 फरवरी को तय हुई। इस भात में शामिल होने की सूचना जैसे ही गांव तलवंडी राणा के पर्यावरण प्रेमियों को मिली तभी से उन्होंने इस भात को कुछ अलग अंदाज से भरने की ठान ली। इसके लिए बाकायदा अलग-अलग किस्म के फूलदार, छायादार, एवं फलदार पौधों को इस भात में उपहार स्वरूप देने की तैयारी की गई। इस दौरान गांव के सेन परिवार, समस्त ग्रामीणों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने तय किया कि इस भात में जाने वाला प्रत्येक भाती (भाई) अपनी बहन को एक-एक पौधा भी उपहार स्वरूप देगा। उसी कड़ी में बुधवार सुबह इन सभी ने पाटणे की रस्म के दौरान अपनी बहन को एक-एक पौधा उपहार स्वरूप प्रदान किया।
इस दौरान बहन को चुनणी रस्म के साथ नोटों की मालाओं के साथ-साथ फूलदार, छायादार, एवं फलदार पौधे भी दिए। हालांकि सेन परिवार की ओर से भरे गए इस भात में एक लाख 11 हजार 111 रुपये नकद, आभूषण, उपहार, महंगे कपड़े एवं दूसरे प्रकार के उपहार भी सभी मान मनौव्वल की रस्मों के साथ अपनी बेटी एवं उनके परिवार के सदस्यों को प्रदान किए गए। मगर सर्वाधिक चर्चा गांव बालसमंद में भात रस्म के दौरान उपहार स्वरुप प्रदान किए गए फूलदार, छायादार, एवं फलदार पौधों को लेकर रही।
क्या होती है भात की रस्म
भात की रस्म में जिस लडक़े या लडक़ी की शादी हो रही होती है, उसका मामा (मां का भाई) अपनी बहन के ससुराल वालों को बहुत सारे उपहार और नकद रुपए देता है। इसमें मामा ना केवल अपने भांजे या भांजी के लिए उपहार लाता है, बल्कि अपनी बहन के ससुराल वालों के लिए भी उपहार लाता है। इस प्रथा के बहाने लडक़ी को अपने बच्चों के विवाह में अपने मायके की तरफ से थोड़ी मदद हो जाती है। प्राचीन काल में इस रस्म के बहाने बहन का हक अदा करने क रिवाज के तौर पर भी देखा जाता रहा है। बड़ी बात यह है कि भात भरने वाले और भात लेने वाला का पूरा नाम पता बाकायदा बही में अंकित किया जाता है। बालसमंद गांव में आज भरे गए भात को समाज में आ रहे बदलावों एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता लाने के एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
प्रत्येक रस्म पर हो पर्यावरण का संरक्षण
गांव तलवंडी राणा में कलरफुल इंडिया नामक मुहिम के तहत प्रदेश भर में बीस लाख से अधिक फूलदार, छायादार, एवं फलदार पौधे वितरित करने वाली सामाजिक संस्था राह ग्रुप फाऊंडेशन के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ के अनुसार उनकी संस्था का प्रयास है कि पूरे देश मेें सभी सामाजिक रस्मों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जाए। बच्चे के जन्म से लेकर, उसके जन्मदिन, शादी विवाह, भात एवं खुशी की दूसरी रस्मों में यदि कोई व्यक्ति पौधों को उपहार स्वरूप प्रदान करना चाहता है तो राह संस्था उनकी हर संभव मदद करेगी।

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