हिसार

भगवान परशुराम जी के दिखाए मार्ग पर चलना होगा : डॉ. भारद्वाज

दधिचि परमार्थ आश्रम ट्रस्ट में मनाई भगवान परशुराम की जयंती

एचएसएससी के पूर्व सदस्य बोले, हमें भगवान परशुराम की तरह निडर व निर्भीक होकर अपनी मंजिल तक पहुंचना चाहिए

हिसार,
बरवाला के दधिचि परमार्थ आश्रम ट्रस्ट में भगवान परशुराम जयंती मनाई गई। इस अवसर पर मंत्रोच्चारण के साथ हवन यज्ञ व पूजा अर्चना का विशेष आयोजन किया गया। इस मौके पर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य डॉ. हर्षमोहन भारद्वाज ने भगवान परशुराम जयंती की बधाई देते हुए कहा कि भगवान परशुराम तप, धैर्य, पराक्रम, त्याग व ज्ञान के भंडार थे। यह गुण उनमें बचपन से ही विद्यमान थे। अद्भुत शक्तियों के स्वामी भगवान परशुराम के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
डॉ. भारद्वाज ने कहा कि भगवान परशुराम ने समाज को एकजुट होने का जो संदेश दिया था, वह आज भी प्रासांगिक है। आज सभी वर्गों के लोगों को भगवान परशुराम की तरह निडर व निर्भीक होकर अपनी मंजिल तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी को भगवान परशुराम द्वारा बताए रास्ते पर चलना चाहिए व उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
डॉ. भारद्वाज ने कहा कि तप त्याग के अवतार भगवान श्री परशुराम जी के जीवन पर्यन्त समाज के उत्थान के लिए अधार्मिक राजाओं का दमन करके इस पृथ्वी को 21 बार दुष्ट राजाओं से छीन कर सुपात्रों को दान कर धर्म की स्थापना की। उन्होंने कहा कि परशुराम की पहचान एक क्रांतिकारी योद्वा के रुप में है। उनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। एचएसएससी के पूर्व सदस्य डॉ. हर्षमोहन ने कहा कि भगवान परशुराम जी की जयंती वैशाख मास शुक्ल पक्ष को मनाते हैं जिसे अक्षय तृतीय के नाम से भी जाना जाता हैं। यूं तो भगवान के 24 अवतार हुए जिनमें से 10 मुख्य अवतार हैं। इन 10 अवतारों में से छठे अवतार भगवान परशुराम जी हुए, जब धरा पर अत्याचार, अन्याय, पाप बढ़ा तो श्री हरि नारायण ने अवतार धारण किया। उनका जन्म ऋषि जमदग्नि और रेणुका जी के घर में हुआ। ऋषि जमदग्नि और रेणुका जी की चार संतानें थी परंतु पांचवीं संतान के रुप में परशुराम जी ने जन्म लिया। वैसे तो बचपन में इनका नाम राम था लेकिन जब भगवान शिव ने इन्हें परशु प्रदान किया तो इनका नाम परशुराम पड़ गया। परशु भाव शक्ति, राम का भाव है भक्ति। भगवान परशुराम जी पर आक्षेप लगाया जाता है कि उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रीय विहीन किया, लेकिन वास्तव में उन्होंने उन क्षत्रियों का अंत किया था जो अत्याचारी पापी बन गए थे। डॉ. भारद्वाज ने कहा कि हमें भगवान परशुराम के दिखाए मार्ग पर चलना होगा।

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Jeewan Aadhar Editor Desk