धर्म

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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—93

Jeewan Aadhar Editor Desk
आत्मदेव ब्रह्मण हर तरह से सुखी था,परन्तु उसके कोई सन्तान नहीं थी। इस दु:ख से दु:खी होकर सोचने लगा कि ऐसे जीने से तो मृत्यु...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—93

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एक वन में एक नवयुवती रो रही थी। नारदजी उस रोती हुई युवती के पास आए और रोने का कारण पूछने लगे। युवती ने जब...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—92

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1.मातृदेवो भव 2.पितृदेवो भव 3.अतिथि देवो भव 4. आचार्य देवो भव। अर्थात् माता ही देव हैं इनकी सेवा और भक्ति करो,पिता के भक्त बनो, कोई...