धर्म

सत्यार्थप्रकाश के अंश—28

जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार

नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।

जीवन आधार न्यूज पोर्टल में पत्रकार बने .. आकर्षक वेतन व अन्य सुविधाएं ले..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

जब जीव को पूर्व ज्ञान नहीं और ईश्वर इस को दण्ड देता है तो जीव का सुधार नहीं हो सकता क्योंकि जब उस का ज्ञान हो कि हमने अमुक काम किया था उसी का सह फल है तभी वह पापकर्मो से बच सके?
तुम ज्ञान कै प्रकार का मानते हो?
प्रत्यक्षादि प्रमाणों से आठ प्रकार का।
तो जब तुम जन्म से लेकर समय-समय में राज,धन,बुद्धि,विद्या,दारिद्रय,मूर्खता आदि सुख-दु:ख संसार में देखकर पूर्वजन्म का ज्ञान क्यों नहीं करते? जैसे एक अवैद्य और एक वैद्य को कोई रोग हो उस का निदान अर्थात् कारण वैद्य ज्ञान लेता और अविद्वान् नहीं जान सकता। उस ने वैद्यिक विद्या पढ़ी है और दूसरे ने नहीं। परन्तु ज्वरादि रोग होने से अवैद्य भी इतना जान सकता है कि मुझ से कोई कुपथ्य हो गया है जिस से मुफे यह रोग हुआ है। वैस ही जगत् में विचित्र सुख दु:ख आदि की घटती बढ़ती देख के पूर्वजन्म का अनुमान क्यों नहीं जान लेते? और जो पुर्वजन्म को न मानोगे तो परमेश्वर पक्षपाती हो जाता है क्योंकि बना पाप के दारिद्रयादि दु:ख और बिना पूर्वसश्चित पुण्य के राज्य धनाढयता और निर्बुद्धिता उस को क्यों दी? और पूर्वजन्म के पाप पुण्य के अनुसार दु:ख सुख के देने से परमेश्वर न्यायकारी यथावत् रहता है।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

ओशो : चार बात

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—105

Jeewan Aadhar Editor Desk

सत्यार्थप्रकाश के अंश—10