धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—359

पुराने समय में एक व्यक्ति ने देखा कि रास्ते में एक बूढ़ा तीन गठरियां लेकर खड़ा है। बूढ़े ने इस व्यक्ति से कहा कि बेटा क्या तुम मेरी मदद करोगे, मेरी एक गठरी बहुत भारी है, इसे मेरे गांव तक पहुंचा दो। मैं तुम्हें दो मुद्राएं दूंगा। व्यक्ति ने कहा कि ठीक हैं, मैं आपकी मदद कर देता हूं। उसने गठरी उठा ली, वह सच में बहुत भारी थी। व्यक्ति ने बूढ़े से पूछा कि इसमें क्या है? बूढ़ा धीरे से बोला कि इसमें सिक्के हैं।

व्यक्ति सोचने लगा कि इतने सारे सिक्के, लेकिन मुझे इनसे क्या करना है। मैं बेईमानी नहीं करूंगा। कुछ देर बाद रास्ते में एक नदी आई। व्यक्ति नदी में उतर गया, लेकिन बूढ़ा किनारे पर ही खड़ा था। बूढ़े ने कहा कि मैं नदी में दो गठरियां उठाकर चल नहीं सकता, क्या तुम मेरी एक और गठरी उठा सकते हो? व्यक्ति ने हां कर दी। बूढ़े ने कहा कि तुम ये गठरियां लेकर भाग तो नहीं जाओगे, क्योंकि इसमें चांदी के सिक्के हैं। व्यक्ति ने कहा कि क्या मैं आपको चोर दिखता हूं। मैं एक ईमानदार इंसान हूं, मुझे धन का लालच नहीं है। इसके बाद दोनों आगे बढ़ने लगे।

कुछ देर बाद एक पहाड़ी आई। बूढ़े ने कहा कि बेटा मेरी ये तीसरी गठरी भी तुम ही ले लो, लेकिन भागना मत, क्योंकि इसमें सोने के सिक्के हैं। व्यक्ति ने कहा कि आप चिंता न करें, मैं लालची नहीं हूं। बूढ़े ने तीसरी गठरी भी उस व्यक्ति को दे दी। अब व्यक्ति तेज चल रहा था और बूढ़ा काफी पीछे रह गया था। व्यक्ति ने सोचा कि अगर मैं ये तीनों गठरियां लेकर भाग जाऊंगा तो मेरे घर-परिवार की गरीबी खत्म हो जाएगी। बूढ़ा तो मुझे पकड़ भी नहीं पाएगा। ये सोचकर वह तीनों गठरियां लेकर भाग गया और अपने घर पहुंचा।

घर पहुंचकर उसने गठरियां खोली तो उसमें मिट्टी के सिक्के थे। ये देखकर वह हैरान रह गया। उसने सोचा कि उस बूढ़े ने मुझसे झूठ क्यों बोला, तभी उसे सिक्कों के साथ एक चिट्ठी भी थी। उसमें लिखा था कि ये पूरा नाटक इस राज्य के खजाने की सुरक्षा के लिए ईमानदारी व्यक्ति की खोज के लिए रचा गया है। वह बूढ़ा कोई और नहीं बल्कि राजा ही हैं। अगर तुम ईमानदार रहते तो तुम्हें मंत्रीपद मिलता और राजा से मान-सम्मान भी मिलता। व्यक्ति को अपनी गलती पर पछतावा होने लगा।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी,छोटे से लालच की वजह से हमारे हाथ से बहुत अच्छा अवसर निकल सकता है। कभी भी किसी गलत प्रलोभन में नहीं फंसना चाहिए। वरना बाद में बड़ा नुकसान हो सकता है। लालच की वजह से कई बार हमारे हाथ से अच्छे अवसर निकल जाते हैं, इसीलिए ईमानदारी के काम करते रहना चाहिए।

Related posts

संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 376

स्वामी सदानंद के प्रवचनों से — 252

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—100

Jeewan Aadhar Editor Desk