उत्तर प्रदेश देश

206 किलोमीटर का हाइवे हुआ चोरी, सीबीआई करेगी जांच

लखनऊ
यूपी से चौकान्ने वाली खबरे आना आम बात है। अब इस प्रदेश से 206 किलोमीटर का स्टेट हाइवे ही गायब हो गया। गायब हुआ हाइवे की तलाश अब सीबीआई के हवाले करने का निर्णय लिया गया है।
योगी सरकार ने यूपी स्टेट हाइवे अथॉरिटी में हुए 455 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश की है। स्टेट हाइवे अथॉरिटी की संस्तुति पर गृह विभाग ने पिछले दिनों इस संबंध में जरूरी प्रक्रिया पूरी कर दस्तावेज केंद्र सरकार को भेज दिए।

बीएसपी के शासनकाल में 206 किलोमीटर लंबे दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री हाइवे को टू लेन से फोर लेन करने का फैसला हुआ था। अगस्त, 2011 में इसे बनाने का ठेका मैसर्स एसईडब्ल्यू-एसएसवाई प्राइवेट लिमिटेड एवं प्रसाद ऐंड कंपनी लिमिटेड को दिया गया था। 1700 करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट को तीन वर्षों में पूरा करना था। एक अप्रैल, 2012 से काम भी शुरू हो गया। नवंबर, 2013 में कंपनी ने काम रोक दिया और कहा कि पर्यावरण की एनओसी नहीं मिल रही है। तब कंपनी को 721 दिन का और समय दिया गया। यह मियाद भी जून, 2016 में पूरी हो गई। लेकिन हाइवे फोर लेन नहीं हो पाया।
कंपनी ने प्रॉजेक्ट पूरा करने के लिए एसबीआई, आईसीआईसीआई, कॉर्पोरेशन बैंक, पंजाब ऐंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद समेत 14 बैंकों से करीब 600 करोड़ रुपये का लोन भी ले लिया, लेकिन जांच हुई तो महज 13 फीसदी ही काम होना पाया गया। यह भी पता चला कि कंपनी ने सिर्फ 145 करोड़ का काम कराया और फर्जी तरीके से ज्यादा काम दिखाकर 455 करोड़ रुपये का लोन हड़प लिया। प्राथमिक जांच में इस घोटाले में बैंक के अधिकारियों के भी शामिल होने के संकेत मिले हैं। कंपनी के चार निदेशकों और बैंक अधिकारियों समेत 18 लोगों के खिलाफ लखनऊ के विभूति खंड थाने में पहले ही मुकदमा दर्ज है। यह केस यूपी स्टेट हाइवे अथॉरिटी ने दर्ज कराया था।

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सचल पालना गृह योजना में कथित घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। राज्य सरकार की जांच में इस योजना में बड़े पैमाने पर फंड के दुरुपयोग और धांधली की बात पहले ही सामने आ चुकी है। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को देखते हुए कहा था कि योजना वास्तव में लागू ही नहीं हुई।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने सोमवार को सीबीआई को आदेश दिया कि वह तीन माह में स्टेटस रिपोर्ट पेश करे। हरीश कुमार वर्मा नामक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रदेश में रजिस्टर्ड कामगार महिला श्रमिकों के बच्चों के लिए चलने वाली सचल पालना गृह योजना में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की थी। पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के जवाब से असंतुष्ट कोर्ट ने प्रमुख सचिव समेत कई अफसरों को तलब भी कर लिया था। न्यायालय ने पूछा था कि योजना के तहत कितने शिशु गृहों की स्थापना की गई और वास्तव में क्या सेवाएं प्रदान की जानी थीं।

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