धर्म

ओशो : लोभ

एक सूफी फकीर औरत हुई है रबिया। रबिया एक दिन गुजरी है गांव से, एक हाथ में पानी का एक बर्तन और एक हाथ में जलती मशाल लेकर भागती हुई। लोगों ने समझा कि क्या रबिया पागल हो गयी। ऐसे शक तो लोगों को था ही। रबिया पर शक था ही। क्योंकि जिसने भी कभी ईश्वर को प्रेम किया, है उसे दुसरों ने पागल की नजर से देखा है।
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यह भी उनके बचाव है। क्योंकि अगर रबिया पागल नहीं है, तो फिर उनको शक होगा कि फिर हम क्या हैं? तो भीड़ रबिया को पागल बनाकर अपने को बचा लेती है। तो भीड़ कहती है कि यह औरत पागल हो गयी है। कैसा ईश्वर ? ठीक है, है एक ईश्वर मस्जिद में , तो हर सप्ताह में एक बार जाकर उसके चरणों में सिर झुका आना चाहिए। है मंदिर में, तो ठीक है, एक औपचारिक नियम है वह पूरा कर देना चाहिए। है चर्च में , तो वह संडे-गॉड है, वह रविवार के दिन का है, उस दिन जैसे फुरसत के दिन और सब चीजें निबटा लेते हैं, उसे भी निबटा देते हैं। लेकिन बाकी छह दिन में जो ईश्वर की बात करें, वह पागल है। यह रबिया घंटे ईश्वर-ईश्वर लगाए रखती है, यह पागल हो गयी है।
लेकिन उस दिन तो साफ ही हो गया। बाजार भरा हुआ था और रबिया हाथ में मशाल लिये एक हाथ में पानी का बर्तन लिये बीच बाजार से भागने लगी। तो लोगों ने कहा कि रबिया, अब तक तो हम सोचते थे मन -ही -मन में ,अब तो तुमसे प्रगट भी कहना पड़ेगा। क्या दिमाग खराब हो गया है? यह क्या कर रही हो ? तो रबिया ने कहा कि मैं यह पानी ले जा रही हूं, ताकि नरक को डूबा दूं। और आग की लपट ले जा रही हूं, ताकि तुम्हारे स्वर्ग में आग लगा दूं। क्योंकि तुम्हारे स्वर्ग और तुम्हारे नरक के कारण ही तुम स्वयं से चुक गये हो। लेकि बाजार में शायद ही कोई उसकी बात को समझा हो।
जीसस के जीवन में भी ऐसा उल्लेख है कि जीसस एक गांव से गुजरते हैं। और उन्होंने एक जगह बैठे कुछ फकीरों को देखा, जो पीले पड़ गये हैं और भय से कांप रहे हैं। तो जीसस ने उनसे पूछा कि तुम्हें क्या हो गया है? तुम पर कैसी विपत्ति आयी है? यह कौन-सी मुसीबत, कौन सा दुर्भाग्य कि तुम पीले पड़ गये हो पत्तों जैसे, और कांप रहे हो? क्या हो गया? उन सबने कहा, हम नरक से भयभीत हैं। हम पापी है, हमनें बड़ पाप किये है। और हम डर रहे हैंख् अब नरक में पडऩा पड़ेगा। गांव के लोगों ने कहा कि ये बड़े धार्मिक लोग है। ये पीले पड़ गये लोग, ये भय से कांपते हुए लोग, ये नरक से कंपित- ये बड़े धार्मिक लोग है।
जीसस आगे बढ़े तो उसी गांव के दूसरे हिस्से में उन्हें कुछ और लोग बैठे दिखायी पड़े। वे भी त्याग और तपश्वर्या से अपने को जला डाले थे, राख कर दिये थे, सूख गए थे, कांटे हो गए थे। जीसस ने पूछा, तुम पर कौन सी महामारी आ गयी? तुम्हें क्या हुआ? उन्होंने कहा कि हम स्वर्ग से लालायित है, स्वर्ग को पाने की आकांक्षा से पीडि़त हैं। हम कुडछ भी करने को तैयार है, लेकिन स्वर्ग चाहिए। जीसस बहुत हैरान हुए। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि बड़ी हैरानी की बात है, स्वर्ग नरक में कोई संबंध मालूम नहीं पड़ता है। स्वर्ग से जो लालायित है, वे भी सूख कर पीले पड़ गये है और कोप रहे हैं, और नरक से जो भयभीत हंै वे भी पीले पड़ गये है और कांप रहे हैं। और अगर दोनों को हम ऊपर से देखें तो फर्क बिलकुल मालूम नहीं पड़ता। जब तक वे बतांए न कि उनका कारण क्या है? दोनो में संबंध मालूम पड़ता है।
संबंध है। स्वर्ग और नरक एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लोभ और भय एक ही सिक्के के दो पहलू है। लोभी आदमी कभी भय के बाहर नहीं हो सकता। भयभीत आदमी कभी लोभी के बाहर नहीं हो सकता। भय लोभ का निषेधात्मक रूप है। निगेटिव। लोभ भय का पाजिटिव रूप है- विधायक। भय और लोभ एक ही घटना के दो छोर हैं।
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