धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से — 590

परमहंस जी के पास देवी काली की एक छोटी सी प्रतिमा थी। वे सभी से कहा करते थे कि इस काली माता की इस मूर्ति में पूरे ब्रह्मांड का वास है। एक दिन ये बात एक विदेशी ने भी सुनी तो उन्होंने रामकृष्ण परमहंस से कहा कि दुनिया तो बहुत बड़ी है, इतनी बड़ी दुनिया एक छोटी सी मूर्ति में कैसे समा सकती है। दुनिया के सामने ये मूर्ति तो बहुत छोटी है। आप ऐसा क्यों कहते हैं कि इसमें पूरे ब्रह्मांड का वास है?

परमहंस जी ने उनसे एक प्रश्न पूछा कि एक बात बताइए, सूर्य बड़ा है या पृथ्वी?

विदेशी ने कहा कि सूर्य तो पृथ्वी से कई गुना बड़ा है।

परमहंस जी ने पूछा कि अब आप बताइए कि सूर्य बड़ा है तो हमें छोटा क्यों दिखाई देता है?

विदेशी ने कहा कि सूर्य पृथ्वी से करीब 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। इस वजह से ये हमें बहुत छोटा दिखता है।

परमहंस जी ने कहा कि आपकी बात सही है। सूर्य हमसे दूर है, इसीलिए इतना छोटा दिखाई देता है, जबकि असलियत में सूर्य तो बहुत बड़ा है। ठीक इसी तरह मेरी काली माई से आप भी बहुत दूर हैं। इस वजह से आपको ये मूर्ति बहुत छोटी दिख रही है। मैं मेरी मां के करीब हूं, इसलिए मुझे ये बड़ी दिखाई देती हैं। आपको इस मूर्ति में पत्थर दिखता है और मुझे इसमें शक्ति दिखती है। भक्ति के मामले में वैज्ञानिक नहीं, भावनात्मक रूप से महसूस करेंगे तो ज्यादा लाभ मिलता है।

परमहंस जी ने आगे कहा कि हम इंसानों के अंदर जो शक्ति है, उससे अलग एक और शक्ति है, जिसे हम कॉस्मिक एनर्जी कहते हैं। जब हम इसे महसूस करते हैं, तब ही आप इसे हासिल कर सकते हैं।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, भक्ति एक ऐसा मामला है, जिसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नहीं सोचना नहीं चाहिए। भक्ति को भावनात्मक रूप से महसूस करेंगे तो ज्यादा लाभ मिल सकता है।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—422

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—297

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—470