एक बार एक बूढी औरत कहीं से आ रही थी कि तभी उसने तीन मजदूरों को कोई ईमारत बनाते देखा। उसने पहले मजदूर से पूछा, ‘तुम क्या कर रहे हो?’, “ देखती नहीं मैं ईंटे ढो रहा हूँ।” उसने जवाब दिया।
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फिर वो दुसरे मजदूर के पास गयी और उससे भी वही प्रश्न किया, “तुम क्या कर रहे हो?” मैं अपने परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत–मजदूरी कर रहा हूँ?’ उत्तर आया।
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फिर वह तीसरे मजदूर के पास गयी और पुनः वही प्रश्न किया, “ तुम क्या कर रहे हो?, उस व्यक्ति ने उत्साह के साथ उत्तर दिया, “ मैं इस शहर का सबसे भव्य मंदिर बना रहा हूँ” आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन तीनों में से कौन सबसे अधिक खुश होगा!
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धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, तीसरे मजदूर की तरह ही खुश रहने वाले व्यक्ति अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखते हैं, और ऐसा करना वाकई उन्हें आपार ख़ुशी देता है। आप जो भी काम करो, उसमें उसकी सुंदरता को देखो, उसके महत्व को पहचानों—आपको खुशी मिलेगी,आपकी सोच बदलेगी। और ये बदली हुई सोच आपको जीवन के मुकाम तक लेकर जायेगी।
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