पानीपत हरियाणा

750 बच्चें बढ़ रहे है जुगाड़ के सहारे आगे, बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा है खिलवाड़

पानीपत (प्रवीण भारद्वाज)
हरियाणा को शिक्षा का हब बताने वाली प्रदेश सरकार के दावे कितने दमदार है इसकी पोल पानीपत जिले के गांव गड़ी बेसक में एक स्कूल खोल रहा है। इस स्कूल में बच्चों की संख्या 750 है, और इन बच्चों को शिक्षा देने के लिए स्कूल में केवल 3 ही अध्यापक है। इस स्थिती में प्रधानमंत्री का ‘पढ़ेगा इंडिया तो आगे बढ़ेगा इंडिया’ का नारा प्रदेश सरकार कैसे सार्थक करेगी—ये काफी विचारणीय है।

स्कूल है या तबेला
गांव गड़ी बेसक का सीनियर सेकंडरी स्कूल के विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में है। अंधकार भविष्य एक या दो विद्यार्थियोें का नहीं बल्कि यहां पढ़ने वाले सभी 750 विद्यार्थियों का है। इसका मुख्य कारण है शिक्षकों की कमी। स्कूल में 750 विद्यार्थियों पर प्रधानाचार्य समेत 3 ही अध्यापक है, यानि 250 बच्चों पर एक अध्यापक। ऐसे में यहां शिक्षा का स्तर बताने की शायद आवश्यकता नहीं है। शिक्षा का स्तर निचले पायदान पर है। स्कूल में ना तो बैंच है और ना अन्य कोई सुविधा। स्कूल को देखकर लगता है यह बच्चों को रोककर रखने का तबेला है। अध्यापकों का समय पढ़ाई करवाने में कम, इन बच्चों की देखभाल में ज्यादा व्यतीत हो रहा है।
जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
शिक्षा देने के लिए जुगाड़ व्यवस्था
अध्यापकों की कमी के चलते प्रधानाचार्य ने प्राइमरी शिक्षकों से मदद ले रखी है। दसवीं कक्षा की छात्रा पूनम ने बताया कि स्कूल में केवल 3 ही विषयों के अध्यापक है। ऐसे में अन्य विषय पढ़ाने के लिए प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों को बुलाया जाता है। ये अध्यापक हमें ठीक से भी नही पढ़ा पाते। पूनम का सपना है कि वह पढ़लिख कर इंजीनियर बने। लेकिन स्कूल में ना तो अध्यापक है और ना ही कंप्यूटर लैब। आधुनिक शिक्षा देने का दंभ भरने वाली प्रदेश सरकार ने इस स्कूल में डीटीएच सिस्टम भी नहीं लगा रखा। ऐसे में नहीं पूनम का सपना पूरा होना असंभव सा लग रहा है। वहीं छात्रा काजल का कहना है कि यह एकमात्र ऐसा स्कूल होगा जिसमें पढ़ाने के लिए ‘शिक्षकों का भी जुगाड़’ करना पड़ रहा है।

प्रधानाचार्य के पास भी अन्य चार्ज
स्कूल के प्रधान शिक्षक के पास डीडी पावर के साथ—साथ प्रधानाचार्य का भी प्रभार है। प्रधान शिक्षक जसवंत का कहना है कि मेरा विषय हिंदी है। मुझे डीडीओ का भी चार्ज दिया हुआ है। डीडी पावर होने के कारण 9 स्कूलों की देखरेख भी उन्हें करनी पड़ती है। इसके चलते बच्चों को शिक्षा पूरी तरह प्रभावित होती है। बोर्ड परीक्षा नजदीक है। बच्चों का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है । अध्यापकों की कमी का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ेगा। उनका कहना है कि विभाग की पॉलसियां काफी पेचिदा है, ऐसे में नुकसान बच्चों को ही उठाना पड़ रहा है।
नौकरी की तलाश है..3000 रुपए से लेकर 54 हजार रुपए तक मासिक तक की नौकरी यहां आपका इंतजार कर रही है, अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
क्या बोले जिला शिक्षा अधिकारी
जिला शिक्षा अधिकारी धर्मवीर का कहना है कि स्कूल में प्रधानाचार्य को सरकार द्वारा रिटायर्ड अध्यापकों को भर्ती करने की पावर दी गई है। अपने स्तर पर स्कूलों में प्रधानाचार्य अध्यापकों की कमी को रिटायर्ड अध्यापकों की भर्ती करके पूरा कर सकते हैं। लेकिन यहां बड़ा पेच यह है कि इस स्कीम के तहत किसी भी रिटायर्ड अध्यापक ने आवेदन नहीं किया है। 
जिला शिक्षा अधिकारी ने बड़ी आसानी से अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिया और गेंद डाल दी स्कूल के प्रधान शिक्षक के पाले में।
कौन है जिम्मेवार स्कूल में एक साथ 750 बच्चों का भविष्य तबाह हो रहा है। कोई भी इसकी जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है। बड़ा सवाल ये ही है कि इन बच्चों का गुनाहगार कौन है?? मनोहर सरकार…शिक्षा विभाग…या फिर अधिकारी…या फिर ये तीनों। सवाल ये भी उठता है कि 750 बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के लिए जो भी दोषी है क्या उसे कभी सजा मिल पायेगी। क्या इस सिस्टम में कोई तबदली हो सकती है?? सवाल अनेक है—लेकिन इनका जवाब किसी के पास नहीं है। क्योंकि सरकार, विभाग और अधिकारी कोई भी जिम्मेवारी उठाने को तैयार नहीं है।

जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

इनेलो की सम्मान रैली स्थगित, अब 7 अक्टूबर को होगा रैली का आयोजन

Jeewan Aadhar Editor Desk

पुलिस ने पूछताछ के नाम नाबालिग लड़की की थाने में की पिटाई—वीडियो हुआ वायरल

जींद का कार्तिक बना दसवीं का टॉपर, अपना रिजल्ट देखने के लिए यहां क्लिक करे